- Pitru Paksha Shraddha: 17 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष; श्राद्ध में इन बातों का रखें ध्यान और दान से पाएं पूर्वजों का आशीर्वाद |
- इससे भी पढ़े :- अरशद नदीम के बिना भी नीरज चोपड़ा को नहीं मिलेगी आसान जीत, जानें क्या है वजह |
- Pitru Paksha Shraddha: श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का अर्थ
- इससे भी पढ़े :- बीजेपी सरकार में जल्द टूट की संभावना, सचिन पायलट का भजनलाल शर्मा पर बड़ा हमला |
- Pitru Paksha Shraddha: भोजन के पांच अंश
- इससे भी पढ़े :- सपा विधायक की मुश्किलें बढ़ीं; घर में नाबालिग बच्ची की मौत, यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप |
- Pitru Paksha Shraddha: इन वस्तुओं का करें दान –
- इससे भी पढ़े :- शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई; नालंदा में 99 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू |
Pitru Paksha Shraddha: 17 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष; श्राद्ध में इन बातों का रखें ध्यान और दान से पाएं पूर्वजों का आशीर्वाद |
Pitru Paksha Shraddha: पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत 17 सितंबर से हो रही है, जो 2 अक्टूबर तक चलेगा। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, क्योंकि इस समय को पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, जो 16 दिनों तक चलता है। इस दौरान पितरों के लिए तर्पण, दान और पूजा-पाठ किया जाता है, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सके।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से होता है और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या को होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान मृत्यु के देवता यमराज पितरों को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे अपने स्वजनों से तर्पण ग्रहण कर सकें। इस समय किए गए श्राद्ध कर्म, तर्पण, और दान से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
Pitru Paksha Shraddha: पितृ पक्ष में किए गए धार्मिक कर्म विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि इससे न केवल पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि उनकी कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है। श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना, गाय, अनाज, वस्त्र, और जरूरतमंदों को दान देना पुण्यकारी होता है। इन कर्मों से पितरों की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में खुशहाली लाने में सहायक होते हैं।
इससे भी पढ़े :- अरशद नदीम के बिना भी नीरज चोपड़ा को नहीं मिलेगी आसान जीत, जानें क्या है वजह |
Pitru Paksha Shraddha: श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का अर्थ
Pitru Paksha Shraddha: ज्योतिषाचार्य और कुंडली विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान घर-परिवार के दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया जाता है, जिसे श्राद्ध कहते हैं। इस दौरान पिंडदान, तर्पण, और दान का विशेष महत्व होता है। पिंडदान का अर्थ है कि हम पितरों के लिए भोजन का दान कर रहे हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। तर्पण का मतलब है जल का दान करना, जो पितरों की तृप्ति के लिए होता है। इन धार्मिक कार्यों से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
Pitru Paksha Shraddha: पितृ पक्ष के दौरान विभिन्न प्रकार के दान करने की परंपरा भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। गौशाला में गायों के लिए हरी घास और उनकी देखभाल के लिए धन का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इसके साथ ही, किसी तालाब में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने से भी पुण्य लाभ मिलता है। इसके अलावा, घर के आस-पास कुत्तों को रोटी खिलाना और कौओं के लिए भोजन रखना पितरों की प्रसन्नता का कारण बनता है।
Pitru Paksha Shraddha: जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना और किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करना भी पितृ पक्ष के दौरान किए जाने वाले महत्वपूर्ण कार्यों में से है। इस समय भागवत गीता का पाठ करना भी धार्मिक रूप से अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इन कार्यों से न केवल पूर्वजों को संतोष मिलता है, बल्कि परिवार पर उनका आशीर्वाद भी बना रहता है, जिससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
इससे भी पढ़े :- बीजेपी सरकार में जल्द टूट की संभावना, सचिन पायलट का भजनलाल शर्मा पर बड़ा हमला |
Pitru Paksha Shraddha: भोजन के पांच अंश
Pitru Paksha Shraddha: भविष्यवक्ता और कुंडली विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। हिंदू धर्म में इस अवधि को पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का विशेष समय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान हमारे पितर धरती पर आकर हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं, और उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है।
Pitru Paksha Shraddha: पितृ पक्ष में हमारे पितर विभिन्न पशु और पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं और गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी के माध्यम से आहार ग्रहण करते हैं। यह मान्यता पितरों के प्रति हमारे कर्तव्यों को दर्शाती है, और उनके लिए श्राद्ध में आहार अर्पण का विशेष महत्व है। श्राद्ध के दौरान, पितरों के लिए भोजन का एक अंश निकाला जाता है, और यह प्रक्रिया तभी पूर्ण मानी जाती है जब पितरों को समर्पित यह आहार पांच महत्वपूर्ण जीवों को दिया जाता है: गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवता।
Pitru Paksha Shraddha: इन पांचों जीवों को आहार देने का आध्यात्मिक अर्थ है। कुत्ता जल तत्व का प्रतीक है, जो भावनाओं और संवेदनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। चींटी अग्नि तत्व का प्रतीक है, जो ऊर्जा और जीवन के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाता है। कौवा वायु तत्व का प्रतीक होता है, जो विचारों और संवाद का प्रतीक है। गाय पृथ्वी तत्व का प्रतीक होती है, जो स्थायित्व, धैर्य और प्रचुरता को दर्शाती है। देवता आकाश तत्व के प्रतीक होते हैं, जो अनंतता और ईश्वर की उपस्थिति का संकेत देते हैं।
Pitru Paksha Shraddha: इन पांच तत्वों के प्रति आभार प्रकट करने के लिए श्राद्ध के समय इन जीवों को भोजन दिया जाता है। पितृ पक्ष के दौरान यह प्रक्रिया हमें यह समझने का अवसर देती है कि हमारी जीवनशैली और पितरों के प्रति कर्तव्य केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह पंच तत्वों के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी को दर्शाती है।
Pitru Paksha Shraddha: गाय, विशेष रूप से, पितृ पक्ष में पूजनीय मानी जाती है क्योंकि उसमें एक साथ सभी पांच तत्व उपस्थित होते हैं। गाय की सेवा से न केवल पितर प्रसन्न होते हैं, बल्कि इसके धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ भी विशेष होते हैं। पितृ पक्ष के दौरान गाय को हरी घास खिलाना, उसकी देखभाल करना, और उसे सम्मान देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। गाय की सेवा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है, और पितर आशीर्वाद स्वरूप अपनी कृपा बरसाते हैं।
इसके अलावा, श्राद्ध के समय कुत्तों को रोटी देना, कौओं के लिए छत पर भोजन रखना, और चींटियों को आटे का दान करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन सभी कार्यों से पितरों की तृप्ति होती है, और उनकी कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का संचार होता है। इस प्रकार, पितृ पक्ष का महत्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों, प्रकृति और पांच तत्वों के प्रति आभार प्रकट करने का अनुष्ठान भी है, जो हमारे जीवन में संतुलन और शांति लाता है।
इससे भी पढ़े :- सपा विधायक की मुश्किलें बढ़ीं; घर में नाबालिग बच्ची की मौत, यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप |
Pitru Paksha Shraddha: इन वस्तुओं का करें दान –
- गाय का दान- धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है.
- तिल का दान- श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है. इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है.
- घी का दान- श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है.
- अनाज का दान- अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए. इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है. यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है.
- भूमि दान- अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है. किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले दान करने के लिए थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं.
- वस्त्रों का दान- इस दान में धोती और दुपट्टा सहित दो वस्त्रों के दान का महत्व है. यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए.
- सोने का दान- सोने का दान कलह का नाश करता है. किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं.
- चांदी का दान- पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है|
- गुड़ का दान- गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला माना गया है|
- नमक का दान- पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है|
Pingback: Zomato Tax Dispute: पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये की जीएसटी मांग को चुनौती देगा जोमैटो, भुगतान पहले ही किया
Pingback: Dengue Mosquito: दिल्ली में डेंगू का बढ़ता कहर: जानें कैसे करें अपने घर को सुरक्षित |
Pingback: Sensex Lifetime High: सेंसेक्स ने शेयर बाजार में 83,184 पर बनाया नया लाइफटाइम हाई, निफ्टी भी पहुंचा शिखर पर |