- One Nation Election Amendment: मोदी सरकार इस कार्यकाल में एक देश-एक चुनाव पर बिल पेश कर सकती है, लेकिन इसके लिए 15 राज्यों की विधानसभा से भी मंजूरी आवश्यक होगी |
- इससे भी पढ़े :- सबसे अधिक सीटें जीतने के बावजूद यहां राष्ट्रपति नहीं बनता; जानिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया |
- One Nation Election Amendment: कमेटी ने 18 संशोधनों की सिफारिश की
- इससे भी पढ़े :- नवादा की ‘आग’ ने राजनीति को किया ‘गर्म’, 10 गिरफ्तार, जानें घटना की वजह | बड़ी खबरें
- One Nation Election Amendment: जल्द विधि आयोग पेश करेगा रिपोर्ट
- One Nation Election Amendment: पहले भी हो चुके एक देश-एक चुनाव
- One Nation Election Amendment: कहां कब होने हैं चुनाव?
- इससे भी पढ़े :- आतिशी का मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की तारीख घोषित, जानें कब होगा समारोह
- One Nation Election Amendment: कितनी कठिन है बीजेपी की राह?
- One Nation Election Amendment: NDA की पार्टियों का क्या है रुख?
- इससे भी पढ़े :- नवादा की ‘आग’ ने राजनीति को किया ‘गर्म’, 10 गिरफ्तार, जानें घटना की वजह | बड़ी खबरें
- One Nation Election Amendment: कांग्रेस बोली- ये व्यावहारिक नहीं
- One Nation Election Amendment: क्या आम सहमति से बिल हो सकते हैं पास?
- इससे भी पढ़े :- कनाडा का भारत सरकार पर गंभीर आरोप; संसद में भेजे जा रहे लोग इंडिया फंडिंग के जरिए |
One Nation Election Amendment: मोदी सरकार इस कार्यकाल में एक देश-एक चुनाव पर बिल पेश कर सकती है, लेकिन इसके लिए 15 राज्यों की विधानसभा से भी मंजूरी आवश्यक होगी |
One Nation Election Amendment: मोदी कैबिनेट ने ‘एक देश-एक चुनाव’ योजना को लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी इस योजना का वादा किया था।
One Nation Election Amendment: सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस प्रस्ताव की केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी की जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में देशभर के विभिन्न मंचों पर इस योजना पर व्यापक चर्चा की जाएगी। वैष्णव ने कहा, “हम अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। हमारी सरकार उन मुद्दों पर आम सहमति बनाने में विश्वास करती है जो लंबे समय में लोकतंत्र और देश को प्रभावित करते हैं। यह एक ऐसा विषय है, जो हमारे देश को मजबूत करेगा।”
One Nation Election Amendment: ‘एक देश-एक चुनाव’ योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित बनाना है, जिससे बार-बार चुनावों के कारण सरकारी कामकाज में रुकावटें कम हो सकें। इसके लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है, जो समय की मांग और प्रशासनिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखेगी।
इससे भी पढ़े :- सबसे अधिक सीटें जीतने के बावजूद यहां राष्ट्रपति नहीं बनता; जानिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया |
One Nation Election Amendment: कमेटी ने 18 संशोधनों की सिफारिश की
One Nation Election Amendment: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने ‘एक देश-एक चुनाव’ योजना के लिए 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है। इनमें से अधिकांश संशोधनों को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इस योजना को लागू करने के लिए कुछ संवैधानिक संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी, जिन्हें संसद द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है।
One Nation Election Amendment: इन संशोधनों में एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र से संबंधित प्रस्तावित बदलाव शामिल हैं। इन प्रस्तावित संशोधनों के लिए कम से कम आधे राज्यों का समर्थन प्राप्त करना अनिवार्य होगा। यह समर्थन राज्य विधानसभाओं से प्राप्त किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि चुनावी प्रक्रिया को मानकीकृत और सुव्यवस्थित किया जा सके।कमेटी की सिफारिशें इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो देश में चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और समन्वित बनाने का लक्ष्य रखती हैं। इस पहल के माध्यम से, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच चुनावी गतिविधियों को समन्वित करके प्रशासनिक बोझ को कम किया जाएगा।
One Nation Election Amendment: ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित उच्च स्तरीय समिति ने मार्च में लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले अपनी रिपोर्ट पेश की थी। समिति ने इस योजना को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की है। पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराया जाएगा। इसके बाद, दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव आयोजित किए जाएंगे।
समिति ने सुझाव दिया कि भारत के चुनाव आयोग को राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों के साथ मिलकर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करना चाहिए। वर्तमान में, लोकसभा और विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की होती है, जबकि नगर निगमों और पंचायतों के स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराए जाते हैं।यह सिफारिशें चुनावी प्रक्रिया को समन्वित और सरल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे चुनावी प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ सरकारी कामकाज में प्रभावी सुधार की उम्मीद है।
इससे भी पढ़े :- नवादा की ‘आग’ ने राजनीति को किया ‘गर्म’, 10 गिरफ्तार, जानें घटना की वजह | बड़ी खबरें
One Nation Election Amendment: जल्द विधि आयोग पेश करेगा रिपोर्ट
इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पहल के प्रबल समर्थक रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के अनुसार, विधि आयोग अपनी रिपोर्ट में सरकार के तीन स्तरों—लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिकाओं और पंचायतों—के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है।
One Nation Election Amendment: विधि आयोग के द्वारा प्रस्तावित रिपोर्ट में त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधानों पर भी ध्यान दिया जा सकता है। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को अधिक समन्वित और सुव्यवस्थित बनाना है, ताकि सरकार के विभिन्न स्तरों पर चुनाव एक साथ संपन्न किए जा सकें।यह कदम चुनावी प्रबंधन में सुधार और प्रशासनिक कार्यों की दक्षता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। इसके साथ ही, यह संभावित राजनीतिक विवादों और सरकार गठन में अस्थिरता को भी कम करने की दिशा में सहायक हो सकता है।
One Nation Election Amendment: पहले भी हो चुके एक देश-एक चुनाव
1951 से 1967 तक भारत में एक साथ चुनाव होते रहे थे, लेकिन इसके बाद मध्यावधि चुनाव और अन्य कारणों से चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे। वर्तमान में सभी चुनावों को एक साथ कराने के लिए बड़े प्रयास की आवश्यकता होगी, जिसमें कुछ चुनावों को पहले और कुछ को बाद में आयोजित करना शामिल है। यह प्रक्रिया चुनावी समन्वय और प्रशासनिक चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन इसका उद्देश्य चुनावी प्रबंधन को सुगम और प्रभावी बनाना है।
One Nation Election Amendment: कहां कब होने हैं चुनाव?
One Nation Election Amendment: इस साल मई और जून में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए थे। इसके साथ ही ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी आयोजित किए गए। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया अभी जारी है, जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। दिल्ली और बिहार ऐसे राज्य हैं जहाँ अगले चुनाव 2025 में होंगे।
One Nation Election Amendment: इसके अलावा, असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, और पुडुचेरी की मौजूदा विधानसभाओं का कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा। वहीं, गोवा, गुजरात, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड की विधानसभाओं का कार्यकाल 2027 में समाप्त होगा। हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा, और तेलंगाना में राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 2028 में समाप्त होगा। वर्तमान लोकसभा और इस साल एक साथ चुनाव में शामिल राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 में समाप्त होगा।
One Nation Election Amendment: 1999 में, तत्कालीन विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में प्रस्तावित किया था कि हर पांच साल में लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक ही चुनाव कराया जाए। इस प्रस्ताव का उद्देश्य चुनावी समन्वय को बेहतर बनाना और चुनावों की बार-बार की जाने वाली प्रक्रिया से बचना था।
One Nation Election Amendment: संसदीय समिति ने 2015 में अपनी 79वीं रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि एक साथ चुनाव दो चरणों में आयोजित किए जाएं। पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों और दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव संपन्न किए जाएं। यह मॉडल चुनावी प्रबंधन को सरल और समन्वित बनाने का लक्ष्य रखता है, जिससे चुनावी प्रशासन में सुधार हो सके और चुनावों के लिए आवश्यक संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके।
इससे भी पढ़े :- आतिशी का मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की तारीख घोषित, जानें कब होगा समारोह
One Nation Election Amendment: कितनी कठिन है बीजेपी की राह?
One Nation Election Amendment: बीजेपी का ‘एक देश-एक चुनाव’ योजना तभी सफल हो सकती है जब संसद में दो संविधान संशोधन विधेयक पास हों। इसके लिए बीजेपी को विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थन की आवश्यकता होगी। वर्तमान में बीजेपी के पास लोकसभा में अकेले बहुमत नहीं है, इसलिए उसे एनडीए सहयोगियों के साथ-साथ विपक्षी दलों का भी समर्थन प्राप्त करना होगा।
One Nation Election Amendment: संविधान संशोधन से जुड़े होने के कारण, ये विधेयक संसद के दो तिहाई सदस्यों के समर्थन से ही पारित होंगे। लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा में 163 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। विधेयक के संसद से पारित होने के बाद, इसे कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा से भी स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। अंत में, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही ये विधेयक कानून का रूप ले सकेंगे।इस पूरी प्रक्रिया में व्यापक राजनीतिक समर्थन और सहमति की आवश्यकता होगी, ताकि ‘एक देश-एक चुनाव’ योजना को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके।
One Nation Election Amendment: NDA की पार्टियों का क्या है रुख?
One Nation Election Amendment: एनडीए में बीजेपी की प्रमुख सहयोगी जदयू ने केंद्रीय कैबिनेट के ‘एक देश-एक चुनाव’ फैसले का स्वागत किया है। एनडीए में बीजेपी के अलावा जदयू, टीडीपी, और एलजेपी जैसी बड़ी पार्टियां शामिल हैं। जदयू और एलजेपी ने इस योजना का समर्थन किया है, लेकिन टीडीपी ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बीजेपी को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर अन्य विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन मिल सकता है।
One Nation Election Amendment: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने 62 राजनीतिक दलों से राय मांगी थी, जिनमें से 47 ने जवाब दिया। इन 47 दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया, जबकि 15 ने इसका विरोध किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 राजनीतिक दलों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। राष्ट्रीय दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है।बीजेपी और जदयू जैसे समर्थक दलों को इस मुद्दे पर व्यापक राजनीतिक समर्थन जुटाने की आवश्यकता होगी, ताकि ‘एक देश-एक चुनाव’ योजना को सफलतापूर्वक लागू किया जा सके।
हालांकि, अन्नाद्रमुक, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, अपना दल (सोनेलाल), असम गण परिषद, बीजू जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी (आर), मिजो नेशनल फ्रंट, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, शिवसेना, जनता दल (यूनाइटेड), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल, और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल ने ‘एक देश-एक चुनाव’ प्रस्ताव का समर्थन किया है। इन दलों के समर्थन से इस योजना को लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। इन पार्टियों की भागीदारी से बीजेपी और अन्य समर्थक दलों को आवश्यक राजनीतिक समर्थन प्राप्त हो सकता है, जिससे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर व्यापक सहमति बन सकती है।
इससे भी पढ़े :- नवादा की ‘आग’ ने राजनीति को किया ‘गर्म’, 10 गिरफ्तार, जानें घटना की वजह | बड़ी खबरें
One Nation Election Amendment: कांग्रेस बोली- ये व्यावहारिक नहीं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ‘एक देश-एक चुनाव’ प्रस्ताव को व्यावहारिक नहीं मानते हुए इसका विरोध किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी चुनावों के समय असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी योजनाओं को पेश करती है। खरगे का कहना है कि यह प्रस्ताव देश की जटिल चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने के बजाय और भी समस्याएं पैदा कर सकता है। उनका मानना है कि बीजेपी के इस कदम का मुख्य उद्देश्य केवल चुनावी राजनीति को प्रभावित करना है, न कि वास्तविक सुधार लाना। इस पर कांग्रेस का विचार है कि इसे लागू करने से पहले सभी संभावित समस्याओं और प्रभावों पर गहराई से विचार किया जाना चाहिए।
One Nation Election Amendment: क्या आम सहमति से बिल हो सकते हैं पास?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आवश्यक सर्वसम्मति बनाने का एक प्रभावी तरीका है संशोधन विधेयकों को स्थायी समिति या संयुक्त संसदीय समिति जैसे किसी संसदीय पैनल को भेजना। इन पैनलों में विपक्षी सांसद भी शामिल होते हैं, जिससे प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श संभव होता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से सभी पक्षों की चिंताओं और सुझावों को ध्यान में रखते हुए आम सहमति स्थापित की जा सकती है। इससे न केवल विधेयक की व्यापक स्वीकृति प्राप्त हो सकती है, बल्कि यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी राजनीतिक दलों की राय और हितों को समुचित रूप से संबोधित किया जाए।
Pingback: Pannu Case: पन्नू मामले में अमेरिकी समन में अजीत डोभाल का जिक्र, भारत ने ऐसा जवाब दिया जो दुनियाभर में गू
Pingback: Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति लड्डू विवाद; पवन कल्याण ने की 'सनातन धर्म सुरक्षा बोर्ड' की मांग, बोले- सख्त