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Toll Collection System: Satellite Based Toll Collection System इन पांच देशों में पहले से है, अब भारत में भी हुई शुरुआत

 Toll Collection System: सैटेलाइट टोल सिस्टम जल्द ही भारत में लॉन्च होगा;केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की घोषणा |

Toll Collection System: Satellite Based Toll Collection System इन पांच देशों में पहले से है

Toll Collection System: सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम जल्द ही भारत में लॉन्च होने वाला है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी घोषणा की है। उन्होंने मौजूदा टोल सिस्टम को समाप्त करते हुए सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करने का बड़ा फैसला लिया है। शुक्रवार (26 जुलाई) को उन्होंने कहा कि सरकार टोल प्लाजा खत्म कर रही है और जल्द ही सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह प्रणाली शुरू होने जा रही है। इस प्रणाली को लागू करने का मुख्य उद्देश्य टोल कलेक्शन को बढ़ाना और टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़ को कम करना है।

Toll Collection System: Satellite Based Toll Collection System के जरिए वाहनों की सटीक ट्रैकिंग और टोल का स्वचालित संग्रह संभव होगा। इससे न केवल टोल कलेक्शन की प्रक्रिया सुगम होगी, बल्कि यात्रा का समय भी कम होगा। इस नए सिस्टम से टोल प्लाजा पर लगने वाले लंबे जाम से भी राहत मिलेगी, जिससे ईंधन की बचत और प्रदूषण में कमी आएगी। कुल मिलाकर, यह प्रणाली भारतीय सड़क परिवहन को और अधिक आधुनिक और प्रभावी बनाएगी।

क्या है सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम?

Toll Collection System: सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम के लिए सरकार GNSS बेस्ड टोलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेगी, जो मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम को बदल देगा। वर्तमान सिस्टम RFID टैग्स पर काम करता है, जो ऑटोमेटिक टोल कलेक्ट करता है। दूसरी ओर, GNSS बेस्ड टोलिंग सिस्टम में वर्चुअल टोल होंगे, यानी टोल मौजूदा होंगे, लेकिन आपको दिखाई नहीं देंगे। इसके लिए वर्चुअल गैन्ट्रीज इंस्टॉल किए जाएंगे, जो GNSS इनेबल व्हीकल्स से कनेक्ट होंगे। जब वाहन इन वर्चुअल टोल से गुजरेंगे, तो यूजर के अकाउंट से पैसे अपने आप कट जाएंगे।

Toll Collection System: भारत के पास अपने नेविगेशन सिस्टम GAGAN और NavIC हैं, जिनकी मदद से वाहनों को ट्रैक करना आसान हो जाएगा। यह नई प्रणाली न केवल टोल संग्रह को अधिक सटीक और स्वचालित बनाएगी, बल्कि इससे टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों और जाम से भी राहत मिलेगी। इसके साथ ही, जीएनएसएस आधारित प्रणाली से यूजर का डेटा भी सुरक्षित रहेगा, क्योंकि यह तकनीक उच्च सुरक्षा मानकों का पालन करती है।

Toll Collection System: Satellite Based Toll Collection System इन पांच देशों में पहले से है

Toll Collection System: इस नई प्रणाली के लागू होने से न केवल टोल कलेक्शन की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि यात्रियों को भी समय और ईंधन की बचत होगी। GNSS आधारित टोलिंग सिस्टम भारत के सड़क परिवहन को अधिक आधुनिक, सुरक्षित और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे यात्रा के अनुभव में सुधार होगा और परिवहन प्रणाली में नवाचार का समावेश होगा।

क्या होगा फायदा?

Toll Collection System: फास्टैग आधारित मौजूदा टोल सिस्टम में हाईवे का उपयोग करने पर आपको कम दूरी के लिए भी पूरे टोल का भुगतान करना पड़ता है। वहीं, सैटेलाइट टोल सिस्टम में आप जितनी दूरी तय करेंगे, आपसे उतनी ही दूरी के लिए टोल लिया जाएगा। इसका मतलब है कि आप अतिरिक्त टोल टैक्स के भुगतान से बच सकते हैं। यह प्रणाली अधिक पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल होगी, जिससे यात्रियों को वास्तविक दूरी के अनुसार भुगतान करना होगा।

हालांकि, सरकार कितनी दूरी के लिए कितना टोल टैक्स लगाएगी, इसका खुलासा सैटेलाइट टोल सिस्टम के लागू होने के बाद ही हो सकेगा। यह नई प्रणाली यात्रियों को अधिक सुविधाजनक और किफायती टोल अनुभव प्रदान करेगी, जिससे वे अपनी यात्रा की लागत को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकेंगे। सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम से हाईवे उपयोगकर्ताओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि इससे अनावश्यक टोल भुगतान से छुटकारा मिलेगा।

कहां लागू है सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम?

Toll Collection System: भारत में सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम अब लागू होने जा रहा है, लेकिन यह प्रणाली दुनिया के कई देशों में पहले से ही इस्तेमाल हो रही है। जर्मनी, हंगरी, बुल्गारिया, बेल्जियम और चेक गणराज्य जैसे देशों में इस प्रणाली का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है।

Toll Collection System: इन देशों में सैटेलाइट टोल सिस्टम ने टोल संग्रह को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बना दिया है। इस प्रणाली से इन देशों में न केवल टोल संग्रह की प्रक्रिया में सुधार हुआ है, बल्कि यात्रियों को भी अधिक सुविधाजनक और सटीक टोल भुगतान का अनुभव मिला है।

Toll Collection System: भारत में इस प्रणाली के लागू होने से यहां भी टोल संग्रह प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता आएगी। इससे यात्रियों को वास्तविक दूरी के अनुसार टोल भुगतान करने का मौका मिलेगा, जिससे वे अनावश्यक टोल शुल्क से बच सकेंगे। सैटेलाइट टोल सिस्टम भारतीय परिवहन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा, जिससे हाईवे उपयोगकर्ताओं को अधिक सुविधा और लाभ मिलेगा।

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