Seating Controversy: लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के तौर पर भाग लिया; ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ अंतिम पंक्ति में दिखे |
Seating Controversy: 15 अगस्त को लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस के ध्वजारोहण समारोह के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पांचवीं पंक्ति में बैठाने को लेकर राजनीति गरमा गई है। इस विषय पर रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसे केंद्र सरकार के खिलाफ एक मुद्दा बना दिया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला।
वेणुगोपाल ने कहा, “यह सिर्फ नेता प्रतिपक्ष के पद का अपमान नहीं है, बल्कि यह भारत के लोगों का अपमान भी है, जिनकी आवाज राहुल गांधी संसद में उठाते हैं।” उनकी टिप्पणी ने इस विवाद को और भड़काया है, जिससे राजनीतिक माहौल में और तनाव पैदा हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि यह कदम जानबूझकर उठाया गया है और इसे विपक्षी नेताओं के प्रति अनादर का प्रतीक माना जा रहा है। इस मुद्दे पर जारी विवाद के बीच, कांग्रेस पार्टी ने सरकार से जवाबदेही की मांग की है और इसे लोकतंत्र की भावना के खिलाफ बताया है।
Seating Controversy: कांग्रेस पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने हाल ही में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधी चुनौती दी। वेणुगोपाल ने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अब समय आ गया है कि आप 4 जून के बाद की नई वास्तविकता को स्वीकार करें। जिस अहंकार के साथ आपने स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान लोकसभा नेता राहुल गांधी को अंतिम पंक्ति में बैठाया, वह दर्शाता है कि आपने कोई सबक नहीं सीखा है।”
Seating Controversy: उनकी यह टिप्पणी प्रधानमंत्री के खिलाफ एक तीखा हमला है, जिसमें वेणुगोपाल ने मोदी के रवैये को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि यह कदम जानबूझकर राहुल गांधी और विपक्ष की स्थिति को कमजोर करने के लिए उठाया गया है। वेणुगोपाल की पोस्ट ने इस विवाद को और हवा दी है और कांग्रेस ने सरकार से इस असंवेदनशील व्यवहार की जवाबदेही की मांग की है। यह स्थिति भारतीय राजनीति में एक नई चर्चा का विषय बन गई है और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का एक नया मौका प्रदान किया है।
Seating Controversy: रक्षा मंत्रालय की कमजोर दलील- केसी वेणुगोपाल
Seating Controversy: केसी वेणुगोपाल ने हाल ही में एक बयान में रक्षा मंत्रालय की दलीलों को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि स्वतंत्रता दिवस पर लोकसभा नेता राहुल गांधी को अंतिम पंक्ति में बैठाने का कारण ओलंपिक खिलाड़ियों का सम्मान था। वेणुगोपाल ने इस तर्क को कमजोर बताते हुए कहा, “ओलंपियनों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है, लेकिन मुझे हैरानी है कि कैसे अमित शाह और निर्मला सीतारमण जैसे कैबिनेट मंत्रियों को पहले की पंक्ति में जगह मिल जाती है।”
Seating Controversy: उन्होंने यह भी कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार, दोनों सदनों के विपक्षी नेताओं को सम्मानजनक स्थान दिया जाना चाहिए था, लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पांचवीं पंक्ति में बैठाया गया। इस पर वेणुगोपाल ने सवाल उठाया कि क्या यह एक जानबूझकर किया गया कदम था, जो विपक्षी नेताओं के प्रति अनादर को दर्शाता है। उनका बयान इस विवाद को और बढ़ा दिया है और सरकार की नीतियों पर एक नई बहस छेड़ दी है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर बनी हुई है।
Modi ji, it’s about time you wake up to the new reality post-June 4th. The arrogance with which you relegated Lok Sabha LoP Shri @RahulGandhi ji to the last rows during the Independence Day ceremony shows that you have not learned your lesson.
The Defence Ministry‘s feeble… pic.twitter.com/FZYldFveTQ
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) August 15, 2024
Seating Controversy: यह भारत के लोगों का अपमान
Seating Controversy: कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने हाल ही में एक बयान में स्पष्ट किया कि स्वतंत्रता दिवस पर राहुल गांधी को अंतिम पंक्ति में बैठाना केवल नेता प्रतिपक्ष या राहुल गांधी के पद का अपमान नहीं था, बल्कि यह भारत के लोगों का अपमान भी था। वेणुगोपाल ने कहा, “राहुल गांधी संसद में उन लोगों की आवाज़ उठाते हैं जिनकी समस्याएं अक्सर अनसुनी रहती हैं। इस प्रकार का व्यवहार न केवल विपक्ष के नेताओं की अनदेखी करता है, बल्कि यह पूरे देश की भावना को भी ठेस पहुंचाता है।”
Seating Controversy: उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि यह स्थिति दिखाती है कि सच्चाई कुछ लोगों को कितनी असहज कर सकती है। वेणुगोपाल ने यह आश्चर्य व्यक्त किया कि सच्चाई से सामना करने के बजाय, कुछ लोग इसे छिपाने और सीटों की व्यवस्था में फेरबदल करने को प्राथमिकता देते हैं। उनका यह बयान इस बात को उजागर करता है कि राजनीति में सम्मान और प्रोटोकॉल का कितना महत्व है, और यह मुद्दा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है।
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