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National Disaster : केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में ‘‘राष्ट्रीय आपदा’’ की परिभाषा का अभाव: सरकारी सूत्रों का बयान !

National Disaster : केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में ‘राष्ट्रीय आपदा’ जैसी कोई अवधारणा मौजूद नहीं है: सूत्र !

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National Disaster : केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में ‘‘राष्ट्रीय आपदा’’ की परिभाषा का अभाव: सरकारी सूत्रों का बयान !

National Disaster: केंद्रीय सरकारी सूत्रों ने 2013 में संसद में दिए गए एक जवाब का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में ‘राष्ट्रीय आपदा’ की कोई अवधारणा नहीं है। यह स्पष्टीकरण उस समय आया जब राहुल गांधी और अन्य नेता वायनाड भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

‘राष्ट्रीय आपदा’ की अवधारणा

National Disaster : केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में ‘राष्ट्रीय आपदा’ की कोई विशेष श्रेणी या परिभाषा शामिल नहीं है। इसके बजाय, सरकार आपदाओं का प्रबंधन और सहायता स्थानीय और राज्य स्तर पर ही करती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा की अवधारणा को लेकर कोई आधिकारिक निर्देश या मानक नहीं है, और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आपदाओं को राज्य या स्थानीय स्तर पर ही संभाला जाता है।

2013 में संसद में दिए गए जवाब में, तत्कालीन मंत्री ने स्पष्ट किया था कि केंद्रीय स्तर पर आपदाओं की पहचान और उनकी प्राथमिकता की प्रक्रिया स्थानीय और राज्य स्तर की रिपोर्टों पर निर्भर करती है। इस संदर्भ में, ‘राष्ट्रीय आपदा’ का कोई विशेष श्रेणी या मानक लागू नहीं होता।

वायनाड में भूस्खलन और उसकी मांग

National Disaster : केरल के वायनाड जिले में हाल ही में हुए भूस्खलन ने व्यापक तबाही मचाई है। इस आपदा में कई लोगों की जान गई है और कई परिवार प्रभावित हुए हैं। भूस्खलन के कारण संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ है। इस भयानक स्थिति के चलते, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य नेता ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वायनाड में हुए भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए।

राहुल गांधी का कहना है कि वायनाड में भूस्खलन के कारण हुई मानव और संपत्ति की हानि को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा का दर्जा मिलना चाहिए। उनका मानना है कि इस दर्जे से प्रभावित लोगों को बेहतर और त्वरित सहायता प्राप्त होगी, और केंद्र सरकार को भी इस संकट से निपटने के लिए अधिक संसाधन मुहैया कराने होंगे।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

National Disaster : केंद्र सरकार ने वायनाड में भूस्खलन को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग पर स्पष्टीकरण दिया है कि सरकार के दिशानिर्देशों में ‘राष्ट्रीय आपदा’ की कोई अवधारणा नहीं है। इसके बजाय, सरकार ने स्थानीय और राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए संसाधन और योजनाओं की व्यवस्था की है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार का ध्यान राज्य स्तर पर आपदाओं के प्रबंधन और राहत कार्यों पर केंद्रित रहता है। इस दृष्टिकोण से, प्रत्येक राज्य अपने स्थानीय संसाधनों और प्रशासनिक क्षमताओं का उपयोग करके आपदा का समाधान करता है। केंद्र सरकार की भूमिका आपदा की गंभीरता और आवश्यक संसाधनों के आधार पर सहायक भूमिका निभाना होती है।

आपदा प्रबंधन अधिनियम और उसकी प्रक्रिया

National Disaster : भारत में आपदा प्रबंधन का मुख्य कानूनी ढांचा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) की स्थापना की गई है। इन प्राधिकरणों की जिम्मेदारी आपदाओं की तैयारी, प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास कार्यों की योजना बनाना और लागू करना है।

इस अधिनियम के अनुसार, आपदा की गंभीरता और प्रभाव के आधार पर उसे राष्ट्रीय, राज्य या स्थानीय स्तर पर वर्गीकृत किया जाता है। आपदाओं को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की प्रक्रिया में राज्य सरकारों द्वारा की गई प्राथमिक रिपोर्ट और आपातकालीन प्रबंधन की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। इसके बाद, केंद्र सरकार इस आधार पर संसाधनों और सहायता को तैनात करती है।

राजनीतिक दांवपेंच और सार्वजनिक प्रतिक्रिया

National Disaster : वायनाड में हुए भूस्खलन की स्थिति ने राजनीतिक दलों और जनता के बीच बहस को जन्म दिया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि भूस्खलन की गंभीरता को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए, ताकि प्रभावित लोगों को अधिक सहायता मिल सके और सरकार की प्रतिक्रिया तेजी से हो सके।

वहीं, सरकार का कहना है कि उनके पास इस संदर्भ में कोई विशेष दिशा-निर्देश नहीं हैं और वे मौजूदा प्रावधानों और मानकों के अनुसार काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि आपदा प्रबंधन की प्रक्रिया को लागू करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य चल रहे हैं।

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राहत और पुनर्वास कार्य

National Disaster : भूस्खलन के बाद राहत और पुनर्वास कार्य को प्राथमिकता दी जा रही है। केंद्र और राज्य सरकारें प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक सहायता और संसाधन भेज रही हैं। राहत कार्यों में भोजन, पानी, चिकित्सा सहायता, आश्रय, और पुनर्वास के प्रयास शामिल हैं।

स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों ने भी प्रभावित लोगों की मदद के लिए कदम उठाए हैं। इन राहत कार्यों में स्वास्थ्य जांच, आपातकालीन सेवाएं, और लंबे समय तक चलने वाले पुनर्वास कार्यक्रम शामिल हैं।

भविष्य की दिशा

National Disaster : वायनाड में भूस्खलन की गंभीरता को देखते हुए, यह आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी आपदाओं के प्रबंधन के लिए और भी मजबूत ढांचे और दिशानिर्देशों की आवश्यकता हो। वर्तमान में जो दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं लागू हैं, उनमें सुधार की गुंजाइश हो सकती है ताकि भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके और प्रभावित लोगों को जल्दी राहत मिल सके।

आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सरकार और विभिन्न संगठनों के बीच बेहतर समन्वय और योजनाओं की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपदाओं के समय त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया की जा सके, सभी स्तरों पर तैयारियों और संसाधनों को मजबूत किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

National Disaster : वायनाड में भूस्खलन के मुद्दे ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि आपदा प्रबंधन के लिए एक ठोस और प्रभावी प्रणाली की आवश्यकता है। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों में ‘राष्ट्रीय आपदा’ की कोई अवधारणा न होने के बावजूद, आपदा प्रबंधन अधिनियम और मौजूदा प्रावधानों के तहत राहत कार्य और सहायता प्रदान की जा रही है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य नेताओं की मांग के बावजूद, सरकार का कहना है कि मौजूदा ढांचे के अनुसार ही काम किया जा रहा है। यह महत्वपूर्ण है कि भविष्य में आपदाओं के प्रबंधन के लिए बेहतर योजनाएं और दिशानिर्देश तैयार किए जाएं, ताकि प्रभावित लोगों को समय पर सहायता मिल सके और आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके।

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