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Freedom Decision: 15 अगस्त नहीं, इस तारीख को तय हुई थी भारत की आज़ादी की योजना |

Freedom Decision: 2 जून 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के कमरे में 7 भारतीय नेताओं ने समझौते के दस्तावेज़ पढ़े और सुने |

Freedom Decision: 15 अगस्त नहीं, इस तारीख को तय हुई थी भारत की आज़ादी की योजना |

Freedom Decision: डॉमिनिक लापियरे और लैरी कॉलिंस की प्रसिद्ध पुस्तक ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में उल्लेखित एक महत्वपूर्ण घटना 2 जून 1947 की है, जब भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के कमरे में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में सात प्रमुख भारतीय नेताओं ने भाग लिया और स्वतंत्रता के समझौते के कागजात को पढ़ने और सुनने का अवसर प्राप्त किया। यह तारीख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि इसी दिन तय किया गया था कि भारत की आज़ादी की औपचारिक तारीख 15 अगस्त 1947 होगी।

Freedom Decision: आज, जब हम भारत का 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह स्वतंत्रता केवल एक दिन की प्रक्रिया नहीं थी। इसके लिए कई महीने की गहन बातचीत और समझौते की प्रक्रिया की आवश्यकता थी। इस आर्टिकल में, हम आपको इस ऐतिहासिक बैठक और इसके परिणामों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे, ताकि आप जान सकें कि स्वतंत्रता की तारीख किस प्रकार निश्चित की गई थी।

Freedom Decision: तारीख तय होने से पहले क्या हुआ था

Freedom Decision: डॉमिनिक लापियरे और लैरी कॉलिंस की किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में 2 जून 1947 की एक महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख है। इस दिन भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के कमरे में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता शामिल हुए। इस बैठक में सात प्रमुख भारतीय नेता उपस्थित थे, जिन्होंने स्वतंत्रता समझौते के दस्तावेज़ों को पढ़ा और सुना।

Freedom Decision: कांग्रेस पार्टी की ओर से इस बैठक में पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी शामिल थे। मुस्लिम लीग का प्रतिनिधित्व मोहम्मद अली जिन्ना, लियाकत अली खान और अब्दुर्रब निश्तर ने किया। सिख समुदाय की ओर से बलदेव सिंह ने इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया।

यह बैठक भारतीय स्वतंत्रता की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाई। इस दौरान किए गए समझौतों ने स्वतंत्र भारत के भविष्य की नींव रखी, और यह दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया।

Freedom Decision: तय हुई आजादी की तारीख

Freedom Decision: इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद, वह तारीख आई जब भारत की स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा की गई। 2 जून 1947 की बैठक के अगले दिन, 3 जून 1947 को भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारतीय स्वतंत्रता की तारीख और विभाजन की योजना का औपचारिक ऐलान किया। यह घोषणा ‘3 जून की योजना’ या ‘माउंटबेटन योजना’ के नाम से जानी जाती है।

Freedom Decision: माउंटबेटन ने इस योजना के तहत कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उजागर किया, जो भारत और पाकिस्तान के विभाजन की प्रक्रिया को संचालित करने में सहायक रहे। इस योजना में भारत के विभाजन की तारीख, दोनों देशों की सीमा निर्धारण, और स्वतंत्रता के बाद की व्यवस्थाओं पर विचार किया गया।

Freedom Decision: 15 अगस्त नहीं, इस तारीख को तय हुई थी भारत की आज़ादी की योजना |

‘3 जून की योजना’ ने भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति और समाज को नए सिरे से परिभाषित किया, और यह आज़ादी के सफर की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस योजना के प्रभाव और इसके परिणाम भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय हैं।

Freedom Decision: माउंटबेटन ने कैसे तय की थी तारीख

Freedom Decision: डॉमिनिक लापियरे और लैरी कॉलिंस अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में विस्तार से बताते हैं कि लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून 1947 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने भारत के विभाजन और स्वतंत्रता की योजना की घोषणा की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा गया: भारत की आज़ादी की तारीख क्या होगी?

Freedom Decision: लापियरे और कॉलिंस के अनुसार, माउंटबेटन ने उस समय तक कोई निश्चित तारीख तय नहीं की थी, लेकिन वह जानते थे कि एक तारीख का निर्धारण अनिवार्य था। माउंटबेटन ने कई संभावित तारीखों पर विचार किया और अंततः 15 अगस्त 1947 की तारीख को चुना। यह तारीख इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि 15 अगस्त 1945 को जापान की सेना के खिलाफ ब्रिटिश नेतृत्व वाली सेनाओं ने एक गौरवमयी जीत दर्ज की थी।

Freedom Decision: माउंटबेटन ने इस तारीख को भारतीय स्वतंत्रता के संदर्भ में चुना क्योंकि यह तारीख पहले ही एक ऐतिहासिक जीत का प्रतीक थी और इसे एक नई शुरुआत के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता था। इस प्रकार, 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश शासन से आज़ादी प्राप्त की और इस तारीख को भारतीय स्वतंत्रता के ऐतिहासिक दिन के रूप में मान्यता मिली। यह निर्णय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो आज भी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में याद किया जाता है।

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