Difference Impeachment No-Confidence: पार्लियामेंट सेशन में विपक्ष का वॉकआउट; राज्यसभा सभापति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की अटकलें |
Difference Impeachment No-Confidence: आज संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया, जिससे सदन में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ और सांसद जया बच्चन के बीच नाम को लेकर एक तीखी बहस हो गई। इस विवाद के बाद विपक्ष ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सदन से बाहर जाने का फैसला किया।
Difference Impeachment No-Confidence: अब राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा हो रही है कि विपक्ष राज्यसभा सभापति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना सकता है। इस घटनाक्रम ने संसद के मानसून सत्र को और भी ज्यादा हंगामेदार बना दिया है, जिसमें पहले से ही कई मुद्दों पर बहस और टकराव देखने को मिल रहा है।
यह वाकया इस बात का संकेत है कि संसद में नाम और पद की गरिमा को लेकर गंभीर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। हालांकि, महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कई कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है, और यह देखना होगा कि विपक्ष इस दिशा में क्या कदम उठाता है।
Difference Impeachment No-Confidence: दरअसल, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसद जया बच्चन को “जया अमिताभ बच्चन” कहकर संबोधित किया, जिससे जया बच्चन ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। इसके बाद सदन में एक और मामला उठा जब बीजेपी सांसद घनश्याम तिवारी और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच बहस हो रही थी, लेकिन खरगे को बोलने का मौका नहीं मिल पा रहा था। इसी बीच जया बच्चन ने सभापति के बोलने की शैली पर सवाल खड़े कर दिए। इस विवाद के चलते विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
Difference Impeachment No-Confidence: अब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि विपक्ष राज्यसभा सभापति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की योजना बना सकता है। यह घटनाक्रम संसद के मानसून सत्र को और भी तनावपूर्ण बना रहा है, जहां पहले से ही कई मुद्दों पर गहन चर्चा और टकराव देखने को मिल रहा है।
महाभियोग प्रस्ताव और अविश्वास प्रस्ताव के बीच अंतर को समझना जरूरी है। महाभियोग प्रस्ताव किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ लाया जाता है, जबकि अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ लाया जाता है, जिसमें सरकार की नीतियों पर असहमति जताई जाती है।
क्या होता है महाभियोग प्रस्ताव?
Difference Impeachment No-Confidence: महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य किसी पद पर बैठे व्यक्ति को उस पद से हटाने का निर्णय लेना होता है। इस प्रक्रिया का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61, 124(4), (5), 217, और 218 में किया गया है। महाभियोग प्रस्ताव तब लाया जा सकता है जब संबंधित व्यक्ति पर संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार, या अक्षमता के गंभीर आरोप साबित हो चुके हों।
Difference Impeachment No-Confidence: इस प्रस्ताव को संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है, जबकि राज्यसभा में इसे पेश करने के लिए 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है। इन हस्ताक्षरों के बाद ही प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।
यदि सदन में बहुमत से प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो इसे दूसरे सदन में भी पारित होना होता है। इस पूरी प्रक्रिया के सफल होने पर ही संबंधित व्यक्ति को उसके पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग प्रक्रिया बेहद गंभीर और संवैधानिक महत्व की होती है, जिसका इस्तेमाल केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में किया जाता है।
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
Difference Impeachment No-Confidence: अविश्वास प्रस्ताव, जिसे नो कॉन्फिडेंस मोशन भी कहा जाता है, एक ऐसा संसदीय उपकरण है जिसे विपक्ष तब लाता है जब उसे लगता है कि सत्तारूढ़ सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है या उसकी नीतियां देश के हित में नहीं हैं। अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से विपक्ष यह दावा करता है कि सरकार के पास अब सदन में बहुमत नहीं है, और इसे साबित करने की जिम्मेदारी सरकार पर आ जाती है।
Difference Impeachment No-Confidence: संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत, यदि सरकार सदन में अपना बहुमत साबित करने में विफल रहती है, तो प्रधानमंत्री सहित पूरी कैबिनेट को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है। यह प्रस्ताव केवल लोकसभा में लाया जा सकता है, और इसे पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है। अगर प्रस्ताव सफल होता है, तो यह सरकार के पतन का कारण बनता है, और नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू होती है।
अविश्वास प्रस्ताव लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सरकार हमेशा सदन का विश्वास बनाए रखे और उसकी नीतियां जनहित में हों। यह सत्ता में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बनाए रखने का एक प्रभावी तरीका है।
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