Muzaffarpur : Muzaffarpur बाजार समिति में 72 करोड़ की लागत से दुकानों का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन यह निर्माण दुकानदारों के लिए मुसीबत बन गया है। निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन सब कुछ अधूरा और असमाप्त है। दुकानदारों को जर्जर दुकानों की मरम्मत और सड़कों को दुरुस्त किये जाने के बाद भी परेशानियों से निजात नहीं मिली है।
बाजार समिति की सड़कों की मरम्मत के लिए 72 लाख रुपये खर्च किए गए, लेकिन सड़कों की स्थिति पहले से भी खराब हो गई है। मरम्मत के बाद सड़कें ऊंची कर दी गई हैं, लेकिन दुकानों का लेवल नीचे रह गया है। हल्की बारिश में ही जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिससे दुकानदारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जल निकासी का कोई उचित प्रबंध नहीं होने के कारण पानी सड़कों पर और दुकानों के भीतर जमा हो जाता है।
दुकानदारों का कहना है कि तेज बारिश होने पर स्थिति और भी विकट हो जाती है। पानी दुकानों में घुसने का डर हमेशा बना रहता है। ग्राहकों का आना-जाना मुश्किल हो गया है, जिससे व्यापार पर बुरा असर पड़ रहा है। सड़कें कीचड़मय हो गई हैं और पैदल चलना भी कठिन हो गया है। दुकानदार अपनी परेशानियों को लेकर प्रशासन से कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
दुकानदारों ने आरोप लगाया है कि मरम्मत कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया और आधे-अधूरे काम की वजह से उनकी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। निर्माण कार्य का निरीक्षण करने वाली टीम ने भी अपनी जिम्मेदारी को सही से नहीं निभाया। दुकानदारों की मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द जल निकासी की व्यवस्था करे और सड़कों की मरम्मत के काम को गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा करे।
Muzaffarpur के बाजार समिति के दुकानदारों की इस समस्या का समाधान निकाला जाना आवश्यक है, ताकि वे बिना किसी चिंता के अपने व्यापार को सुचारू रूप से चला सकें। प्रशासन को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और दुकानदारों की समस्याओं का स्थायी समाधान निकालना चाहिए।
खर्च 72 लाख, लेकिन काम आधा-अधूरा
खाद्यान्न विक्रेताओं का कहना है कि दुकान और गोदाम में पानी घुस गया तो लाखों का अनाज और चीनी बर्बाद हो जायेगा। यहां पुल निर्माण निगम 72 करोड़ की लागत से दुकानों की मरम्मत तो कर रहा है, लेकिन सारा कुछ आधा-अधूरा है। दुकान को ऊंचा नहीं किया गया है, जबकि सड़कें ऊंची बना दी गयी हैं। चारों तरफ गंदगी फैली है, और इसके उठाव का भी कोई प्रबंध नहीं है। कई रास्ते तो ऐसे हैं, जिनसे गुजरना संभव ही नहीं है। ऐसी स्थिति में व्यवसायी यहां व्यवसाय कर रहे हैं।
दुकानदारों का कहना है कि बिना कोई प्लानिंग के बाजार समिति में काम हो रहा है। बाहरी तौर पर दुरुस्त कर छोड़ दिया जाएगा, लेकिन इससे व्यवसायियों की परेशानी समाप्त नहीं होगी। जब तक यहां की दुकानों को ऊंचा नहीं किया जाता और सड़कों से नाला को नहीं जोड़ा जाता, बारिश में बाजार समिति को डूबने से कोई बचा नहीं सकता।
दुकानदारों का मानना है कि प्रशासन और पुल निर्माण निगम ने मरम्मत कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा है। इस आधे-अधूरे काम के कारण उनकी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। प्रशासन को जल्द से जल्द जल निकासी की व्यवस्था करनी चाहिए और सड़कों की मरम्मत का काम गुणवत्तापूर्ण तरीके से पूरा करना चाहिए। इसके बिना व्यवसायियों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।
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