Land Survey: 20 अगस्त से बिहार में शुरू होगा भूमि सर्वेक्षण; प्रवासी निवासियों के लिए नीतीश सरकार की दिशा-निर्देश |

Land Survey: 20 अगस्त से बिहार में शुरू होगा भूमि सर्वेक्षण; प्रवासी निवासियों के लिए नीतीश सरकार की दिशा-निर्देश |

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Land Survey: बिहार के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में लैंड सर्वे; शहरी इलाकों को छोड़कर, बसी या नबसी जमीन पर किया जाएगा सर्वेक्षण |

Land Survey: 20 अगस्त से बिहार में शुरू होगा भूमि सर्वेक्षण; प्रवासी निवासियों के लिए नीतीश सरकार की दिशा-निर्देश |
Land Survey: 20 अगस्त से बिहार में शुरू होगा भूमि सर्वेक्षण; प्रवासी निवासियों के लिए नीतीश सरकार की दिशा-निर्देश |

Land Survey: बिहार में 20 अगस्त से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा भूमि सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा। यह सर्वे प्रदेश के 45,000 से अधिक गांवों में किया जाएगा, जिसमें जमीन की पूरी जानकारी एकत्र की जाएगी। मकानों और अन्य निर्माणों की जानकारी भी इस सर्वे में शामिल होगी। सरकार ने इस कार्य के लिए व्यापक तैयारी की है और 177 विभिन्न प्रकार की जानकारी एकत्र करने की योजना बनाई है।

Land Survey: इस सर्वे के माध्यम से यह निर्धारित किया जाएगा कि जमीन सरकारी है या निजी, खेती योग्य है या बंजर। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी है, जिसमें सर्वेक्षण की प्रक्रिया और इसके उद्देश्य की व्याख्या की गई है। इस सर्वे से सरकार को भूमि संबंधी समग्र जानकारी प्राप्त होगी, जिससे भविष्य में भूमि उपयोग और प्रबंधन में सुधार संभव होगा।

Land Survey: जय सिंह ने कहा कि बिहार में अगले सर्वेक्षण का उद्देश्य भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करना है। पिछले बार का रिविजनल सर्वे लगभग 50 साल पहले किया गया था, और वह भी सभी जिलों में पूरा नहीं हुआ था। इससे पहले, बिहार के सभी जिलों का सर्वे लगभग सौ साल पहले हुआ था। इस लंबे अंतराल में कई जमीनों का अंतरण (ट्रांसफर) हो चुका है, जिससे रिकॉर्ड में बदलाव की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है।

Land Survey: इस अभियान के तहत, सरकार का ध्यान नक्शों और खतियानों को वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप अपडेट करने पर है। इसके लिए विस्तृत सर्वेक्षण किया जाएगा, जिससे भूमि के स्वामित्व और उपयोग की सही जानकारी प्राप्त की जा सके। यह प्रयास जमीन के रिकॉर्ड को सटीक और अद्यतन रखने में सहायक होगा, जो भविष्य में भूमि प्रबंधन और सरकारी नीतियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

बिहार के सभी गांवों में होना है ये सर्वे

जमीन सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य भूमि विवादों को कम करना भी है, जो अक्सर पुरानी और अद्यतन न हुई भूमि रिकॉर्ड की वजह से होते हैं। यह सर्वेक्षण सभी ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाएगा, शहरी इलाकों को छोड़कर। चाहे कोई जमीन पर निवास करता हो या नहीं, सर्वेक्षण हर भूमि पर किया जाएगा। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि सभी जमीनों की सही जानकारी और स्थिति दर्ज की जाए, जिससे विवादों की संभावना कम होगी। बिहार के सभी गांवों में होने वाले इस सर्वे से भूमि के वर्तमान स्वामित्व और उपयोग की सटीक जानकारी प्राप्त होगी।

Land Survey: यह प्रक्रिया पुराने रिकॉर्ड को आधुनिक डेटा से अपडेट करेगी, जिससे भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी। सर्वेक्षण के जरिए जमीन के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए समग्र जानकारी एकत्र की जाएगी, जिससे भविष्य में भूमि विवादों का समाधान करना आसान होगा और सरकारी योजनाओं और नीतियों का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

Land Survey की प्रक्रिया लगभग एक साल तक चलती है। इसके प्रारंभिक चरण में, सरकार एक अधिसूचना जारी करती है जो जिले के बंदोबस्त पदाधिकारी द्वारा प्रत्येक गांव में उद्घोषित की जाती है। उद्घोषणा का उद्देश्य यह बताना है कि उस ग्राम में सरकारी सर्वेक्षण कार्य शुरू किया जा रहा है। इसके बाद, सर्वे कर्मियों को आपकी जमीन पर जाकर उसकी मापी करने का अधिकार प्राप्त होगा। इस प्रक्रिया के दौरान, सर्वे कर्मियों द्वारा जमीन की सटीक माप और विवरण एकत्र किया जाएगा, जो भविष्य में भूमि रिकॉर्ड के अद्यतन में सहायक होगा।

Land Survey: यह कदम भूमि संबंधी समस्याओं को हल करने और सरकारी योजनाओं के लिए सटीक डेटा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गांववासियों को इस प्रक्रिया के दौरान सहयोग करना होगा, ताकि सर्वेक्षण सही ढंग से और समय पर पूरा हो सके। उद्घोषणा के माध्यम से लोगों को सर्वेक्षण की जानकारी मिल जाएगी, जिससे वे तैयार रह सकेंगे और आवश्यक जानकारी प्रदान कर सकेंगे।

Land Survey: एक सवाल के जवाब में कि क्या सर्वेक्षण के दौरान पदाधिकारी कागजात मांगेंगे, इसका उत्तर है हाँ, बिल्कुल। सर्वे टीम से संतुष्ट होने के लिए, वे आपसे आपकी जमीन से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहेंगे। ये दस्तावेज यह प्रमाणित करेंगे कि आपको उस जमीन पर मालिकाना हक कैसे प्राप्त हुआ। दस्तावेजों में शामिल हो सकते हैं खतियान, जमीन की खरीददारी की रसीद, बंटवारे के प्रमाण, या न्यायालय के आदेश से मिली जमीन का विवरण।

Land Survey: ये दस्तावेज आवश्यक हैं ताकि सर्वे टीम को आपकी जमीन के अधिकार और स्थिति के बारे में सही जानकारी मिल सके। दस्तावेज दिखाने से न केवल सर्वेक्षण की प्रक्रिया में सहूलियत होगी, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि भूमि रिकॉर्ड सटीक और अद्यतन रहे। यदि आपके पास दस्तावेज नहीं हैं, तो आपको आवश्यक प्रमाण जुटाने की सलाह दी जाती है ताकि सर्वेक्षण बिना किसी समस्या के पूरा हो सके। यह प्रक्रिया भूमि विवादों और गलतफहमियों को दूर करने में भी मदद करेगी।

Land Survey: एक सवाल के जवाब में कि क्या सरकार द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण के दौरान यदि किसी ने अवैध रूप से जमीन पर दखल लिया है, तो क्या सरकार उसे छीन सकती है, इस पर कहा गया कि यदि आपने अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा किया है और सर्वेक्षण के दौरान यह तथ्य उजागर होता है, तो सरकार उसे सही करने की प्रक्रिया अपनाएगी। इसमें कोई समस्या नहीं है।

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Land Survey: 20 अगस्त से बिहार में शुरू होगा भूमि सर्वेक्षण; प्रवासी निवासियों के लिए नीतीश सरकार की दिशा-निर्देश |

Land Survey: सरकारी सर्वेक्षण का उद्देश्य भूमि के रिकॉर्ड को सटीक और अद्यतन रखना है। यदि किसी व्यक्ति ने गैरकानूनी तरीके से जमीन पर कब्जा किया है, तो यह सर्वेक्षण उस कब्जे की पहचान करेगा और उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भूमि का सही उपयोग हो और अवैध कब्जों को समाप्त किया जाए। इस प्रक्रिया के दौरान, अगर किसी की अवैध कब्जेदारी सामने आती है, तो उसे ठीक करने के लिए कानूनी कदम उठाए जाएंगे। सर्वेक्षण का यह पहलू भूमि विवादों को हल करने और भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता लाने में सहायक होगा।

Land Survey: एक साल तक का रखा गया लक्ष्य

जय सिंह ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि सर्वेक्षण को एक साल के भीतर पूरा किया जाए, लेकिन यह प्रक्रिया लंबी है। इसमें तीन बार सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाएगा, ताकि लोगों को अपनी भूमि के कागजात दिखाने का पूरा मौका मिले। सरकार का उद्देश्य सिर्फ जल्दी से सर्वेक्षण समाप्त करना नहीं है, बल्कि लोगों को हर संभव मौका देना है ताकि वे अपने दस्तावेज प्रस्तुत कर सकें। यदि किसी प्रारंभिक चरण में कोई गलती होती है, तो अपील करने का प्रावधान मौजूद है, और यह तीन बार किया जा सकता है।

Land Survey: सर्वेक्षण की टीम से यदि आप पहली, दूसरी, या तीसरी बार असंतुष्ट हैं, तो आपको तीन बार सुनवाई का अवसर मिलेगा। इसके बाद भी यदि आपको लगता है कि सर्वेक्षण में कोई गड़बड़ी हुई है, तो आप सिविल कोर्ट या हाई कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो, और किसी भी प्रकार की त्रुटियों का सही तरीके से समाधान किया जा सके।”

Land Survey: बाहर रहने वाले क्या करें?

Land Survey: बाहर रहने वाले लोगों के लिए जय सिंह ने स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं। उन्होंने बताया कि जिनके नाम पर जमीन है, वही उसका मालिक रहेगा। ऐसे लोगों को पहले यह सूचित करना होगा कि उनकी जमीन कौन सी है और उसकी सीमा क्या है। इसके बाद, उन्हें सर्वे टीम को आवश्यक साक्ष्य प्रदान करने होंगे। यह जानकारी ऑनलाइन भी प्रस्तुत की जा सकती है, चाहे आप भारत के अंदर हों या बाहर। विदेश में रहने वाले या बिहार से बाहर के लोग भी अपनी जमीन के कागजात किसी भी माध्यम से जमा कर सकते हैं।

Land Survey: सर्वे टीम द्वारा तैयार किए गए रिकॉर्ड को आप छह महीने बाद देख सकते हैं। इसे ड्राफ्ट पब्लिकेशन कहा जाता है। यदि ड्राफ्ट पब्लिकेशन में आपकी जमीन किसी और के नाम पर दर्शाई गई है, तो आप ऑनलाइन क्लेम दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए आपको क्लेम ऑब्जेक्शन में सुनवाई के दौरान उपस्थित होना होगा, लेकिन यदि आप खुद उपस्थित नहीं हो सकते, तो आपके परिवार का कोई सदस्य जो बिहार में है, वह आपका पक्ष रख सकता है।

इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आपकी जमीन का रिकॉर्ड सही और अद्यतित रहे। यह भी सुनिश्चित करेगा कि विदेश में या बिहार से बाहर रहने वाले लोगों को भी अपनी जमीन के मामलों में उचित प्रतिनिधित्व और न्याय प्राप्त हो।

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