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India’s defense exports : वो कंपनियां जो देश को ग्लोबल हथियार निर्यातक बना रही हैं !

India’s defense exports : भारत की डिफेंस इंडस्ट्री में उभरती कंपनियों ने देश को डिफेंस एक्सपोर्टर की लिस्ट में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई है।

India's defense exports
India’s defense exports : वो कंपनियां जो देश को ग्लोबल हथियार निर्यातक बना रही हैं !

India’s defense exports : इनमें प्रमुख हैं भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL), हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)। इन कंपनियों ने उन्नत टेक्नोलॉजी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए अत्याधुनिक रक्षा उपकरण और हथियार प्रणाली विकसित की है।

India’s defense exports: BDL मिसाइल निर्माण में माहिर है और इसकी मिसाइलें कई देशों को निर्यात की जाती हैं। HAL हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर के निर्माण में विशेषज्ञता रखती है और इसके उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ रही है। BEL रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अग्रणी है, जो विभिन्न देशों को उच्च गुणवत्ता वाले रडार, संचार उपकरण और निगरानी प्रणाली उपलब्ध कराती है।

India’s defense exports: भारत सरकार ने इन कंपनियों को हर संभव समर्थन दिया है, जिससे इनकी उत्पादन क्षमता और तकनीकी विकास में वृद्धि हुई है। यह इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 में भी स्पष्ट हुआ, जो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई को संसद में पेश किया। इकोनॉमिक सर्वे ने इन कंपनियों की उपलब्धियों और उनके योगदान को उजागर किया, जो भारत को एक मजबूत डिफेंस एक्सपोर्टर के रूप में स्थापित करने में सहायक रही हैं।

2015 से 2019 के बीच भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयात करने वाला देश था, यानी दूसरे देशों से हथियार खरीदता था। लेकिन अब ये कहानी बदल चुकी है। इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 के मुताबिक, भारत अब हथियार बेचने वाले टॉप-25 देशों में शामिल हो गया है।

भारत की डिफेंस इंडस्ट्री ने पिछले साल 2023-24 में अब तक का सबसे ज्यादा हथियारों का निर्यात किया है। आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में भारत ने 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 20,915 करोड़ रुपये) के हथियारों का निर्यात किया है, जो पिछले साल के मुकाबले 25% ज्यादा है। इस उपलब्धि के साथ ही भारत टॉप-25 हथियार निर्यातक देशों की लिस्ट में भी शामिल हो गया है।

पहले जानिए क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे 

India’s defense exports : इकोनॉमिक सर्वे एक तरह का सरकार का रिपोर्ट कार्ड होता है. इसमें बताया जाता है कि पिछले साल (31 मार्च तक) सरकार ने पैसों के मामले में कैसा काम किया और देश की अर्थव्यवस्था कैसी रही. ये रिपोर्ट आम तौर पर वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले जारी करता है. इसमें ये भी बताया जाता है कि आगे चलकर सरकार की नीतियों में क्या बदलाव हो सकते हैं.

दो दशक में डिफेंस एक्सपोर्ट में 21 गुना का उछाल

India’s defense exports : सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो दशकों में भारत के रक्षा निर्यात में 21 गुना का इजाफा हुआ है। 2004-05 से 2013-14 के बीच जहां डिफेंस एक्सपोर्ट सिर्फ 4312 करोड़ रुपये था, वहीं 2014-15 से 2023-24 के दौरान ये बढ़कर 88,319 करोड़ रुपये हो गया है।

इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि भारत किन देशों को हथियार बेच रहा है, लेकिन आर्मेनिया एक प्रमुख देश के रूप में उभरा है। भारत ने आर्मेनिया को पिनाका रॉकेट और आकाश वायु रक्षा मिसाइलें बेचने का करार किया है। इस प्रकार के निर्यात सौदे न केवल भारत की डिफेंस इंडस्ट्री की क्षमता को दर्शाते हैं, बल्कि देश की आत्मनिर्भरता और वैश्विक उपस्थिति को भी मजबूत करते हैं। यह वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों की सफलता का प्रतीक है, जिसने देश की रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया है।

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भारत ने कैसे हासिल किया ये मुकाम

India’s defense exports : सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में लगभग 100 घरेलू कंपनियां डिफेंस प्रोडक्ट्स और इक्विपमेंट का निर्यात कर रही हैं। इन प्रोडक्ट्स में डोर्नियर-228 विमान, तोपें, ब्रह्मोस मिसाइलें, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, रडार, सिम्युलेटर और बख्तरबंद गाड़ियां शामिल हैं। भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2017 में 74,054 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 108,684 करोड़ हो गया, जिससे डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिला है।

रक्षा मंत्रालय (MoD) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में डिफेंस प्रोडक्शन एक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। यह लगभग 1.27 ट्रिलियन रुपये है जो कि पिछले साल के आंकड़े 1.09 ट्रिलियन से 16.7 फीसदी ज्यादा है। सर्वेक्षण ने इस सफलता का श्रेय प्राइवेट डिफेंस सेक्टर और डिफेंस पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों (DPSUs) दोनों के ‘शानदार प्रयासों’ को दिया है। इन प्रयासों की बदौलत भारत अब तक का सबसे ज्यादा रक्षा निर्यात हासिल करने में सफल रहा है।

डिफेंस एक्सपोर्ट में उछाल का एक अन्य कारण निर्यात प्राधिकरणों (Export Authorization) की संख्या में बढ़ोतरी है। वित्तीय वर्ष 2023 में 1414 निर्यात प्राधिकरण जारी किए गए थे, जो वित्तीय वर्ष 2024 में बढ़कर 1505 हो गए हैं, सालाना आधार पर लगभग 6.6 फीसदी की बढ़त है। इस प्रगति ने भारत को रक्षा निर्यात में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है।

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India’s defense exports : वो कंपनियां जो देश को ग्लोबल हथियार निर्यातक बना रही हैं !

डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए भारत ने क्या कदम उठाए

India’s defense exports: जनवरी 2022 में भारत ने फिलीपींस के साथ 374.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर का डिफेंस एक्सपोर्ट का सबसे बड़ा करार किया था. इस करार के तहत भारत फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तीन बैटरी (तटीय जहाजों से लॉन्च होने वाली) सप्लाई कर सकता है.

वहीं पिछले दो सालों में भारत सरकार ने चरणबद्ध तरीके से 310 अलग-अलग हथियारों और प्रणालियों के आयात पर रोक लगा दी है. इससे रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिला है. इन हथियारों और उपकरणों को अगले पांच से छह सालों में चरणबद्ध तरीके से स्वदेशी रूप से बनाया जाएगा. डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट सेक्टर के साथ बढ़ती साझेदारी से भी डिफेंस एक्सपोर्ट में काफी तेजी से इजाफा हुआ है.

रक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए भारत की नीतियां

India’s defense exports : भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कई बड़े कदम उठा रहा है, जैसे रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति 2020 (DPEPP 2020) और रक्षा खरीद प्रक्रिया (DPP) 2016।

DPEPP नीति देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को आत्मनिर्भरता और निर्यात के लिए मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में काम करती है। इसका मकसद रक्षा उत्पादन को दिशा देना और निर्यात को बढ़ावा देना है। वहीं, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए उठाए गए कदमों में से एक है निजी उद्योग को सशक्त बनाना।

रक्षा खरीद प्रक्रिया (DPP) 2016 में एक नई कैटेगरी ‘भारतीय स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्मित (IDDM)’ जोड़ी गई है। इसका मतलब है कि कोई भी भारतीय कंपनी अगर स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकास और निर्माण करती है तो उसे अन्य सभी कैटेगरियों की कंपनियों से अधिक तरजीह दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य भारत को रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भर बनाना और विदेशी निर्भरता को कम करना है।

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रक्षा क्षेत्र में विदेशी सहयोग और स्वदेशी ताकत!
India’s defense exports : रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत सरकार सामरिक पार्टनरशिप मॉडल को बढ़ावा दे रही है. इस मॉडल के तहत भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों (OEM) के साथ मिलकर काम कर सकती हैं. इससे भारतीय कंपनियों को नई तकनीक हासिल करने, रक्षा उपकरण बनाने और भारत में ही उन्हें बनाए रखने की क्षमता हासिल होती है. इस साझेदारी का एक उदाहरण पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए जारी किया गया पहला RFP (Request for Proposal) है.

डिफेंस एक्सपोर्ट (India’s defense exports) में भारत को अभी भी मेहनत की जरूरत है! आर्थिक सर्वेक्षण में ये तो बताया गया है कि रक्षा निर्यात बढ़ रहा है, लेकिन रक्षा आयात के मामले में भारत को अभी और मेहनत करनी है। एक स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की मार्च में आई रिपोर्ट के अनुसार, 2019-23 के दौरान भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बना रहा। इस दौरान भारत का हथियार आयात 4.7% बढ़ा है, जबकि 2014-18 के दौरान ये आंकड़ा कम था।

गौर करने वाली बात यह है कि कुछ समय पहले सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बन गया था, लेकिन अब भारत फिर से शीर्ष पर पहुंच गया है। यह स्थिति दिखाती है कि भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए अभी और प्रयास करने होंगे।

बजट की बात करें तो फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में रक्षा मंत्रालय के लिए कुल आवंटन 6.2 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें से पूंजीगत आवंटन (नई खरीद के लिए) 1.72 लाख करोड़ रुपये था। यह पिछले साल के बजट अनुमान से 5.78% ज्यादा है। सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी भी रक्षा आयात काफी ज्यादा है।

India’s defense exports : भारत की रक्षा उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निजी क्षेत्र और सरकारी उपक्रम दोनों को मिलकर काम करना होगा। सरकार द्वारा रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति 2020 (DPEPP 2020) और रक्षा खरीद प्रक्रिया (DPP) 2016 जैसी नीतियों को लागू किया गया है। इन नीतियों का उद्देश्य स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहित करना और विदेशी हथियारों पर निर्भरता को कम करना है।

उम्मीद है कि आने वाले समय में रक्षा निर्यात और तेजी से बढ़ेगा और भारत को हथियार आयात पर निर्भरता कम होगी। लेकिन इसके लिए निरंतर प्रयास और नीतियों का सही क्रियान्वयन आवश्यक है।

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