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Income Tax: बैंक कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय,लोन पर भी देना होगा टैक्स |

Income Tax: बैंक कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें उन्हें इस तरह के लोन पर देने जाने वाला टैक्स लगेगा।

इस फैसले के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों के कर्मचारियों को टैक्स के आदान-प्रदान के लिए दायित्वपूर्ण ठहराया है, जो इस तरह के लोन की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। यह फैसला वित्तीय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जो कर संरचना को सुधारने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

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Income Tax: बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के यूनियन ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नियमों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां उन्हें निराशा हाथ लगी है। यह चुनौती उनके मानवाधिकारों और वित्तीय स्थिरता की सुरक्षा को लेकर थी, जिसे उन्होंने नियमों में देखा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, उनके अधिकारों का मान्यता करने का आधार बना है, जो उनके संघर्ष को न्यायिक समीकरण में समझाने में मदद करेगा।

Income Tax: सुप्रीम कोर्ट ने लाखों बैंक कर्मचारियों को जोरदार झटका दिया है। शीर्ष न्यायालय ने एक ताजे फैसले में कहा है कि बैंक कर्मचारियों को उनके एम्पलॉयर बैंकों की ओर से रियायती दर पर या बिना ब्याज के लोन की जो सुविधा मिलती है, उस पर टैक्स की देनदारी बनती है। इसका मतलब हुआ कि अब इस तरह के लोन पर बैंक कर्मचारियों को टैक्स का भुगतान करना होगा। यह फैसला वित्तीय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे कर संरचना को सुधारने में मदद मिलेगी। इस फैसले के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक समीकरण में स्पष्टता लाने का काम किया है और बैंक कर्मचारियों के लिए नई कर संरचना को निर्धारित किया है। यह फैसला उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करता है, और साथ ही उन्हें वित्तीय स्थिरता की दिशा में मदद प्रदान करता है।

यूनिक हैं बैंक कर्मचारियों के ये लोन

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Income Tax: सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में इनकम टैक्स के नियमों को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंक कर्मचारियों को बैंकों की ओर से खास तौर पर यह सुविधा दी जाती है, जिसमें उन्हें या तो कम ब्याज पर या बिना ब्याज के लोन मिल जाता है। अदालत के हिसाब से यह यूनिक सुविधा है, जो सिर्फ बैंक कर्मचारियों को ही मिलती है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने फ्रिंज बेनेफिट या अमेनिटीज करार दिया और कहा कि इस कारण ऐसे लोन टैक्सेबल हो जाते हैं। यह फैसला बैंक कर्मचारियों के लिए एक बड़ी झटका है, जो अब इस प्रकार के लोन पर टैक्स का भुगतान करना होगा। इस से उनकी वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है और यह निर्धारित करेगा कि कैसे वे अपने वित्तीय योजना को संशोधित करते हैं।

बैंक यूनियनों ने दी थी चुनौती

Income Tax: बैंक कर्मचारियों के संगठनों ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के एक नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके तहत बैंक कर्मचारियों को खास तौर पर मिलने वाली लोन की सुविधा को टैक्सेबल बनाया गया है। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 17(2)(viii) और इनकम टैक्स रूल्स 1962 के नियम 3(7)(i) के तहत अनुलाभ (perquisites) को परिभाषित किया गया है। अनुलाभ उन सुविधाओं को कहा जाता है, जो किसी भी व्यक्ति को उसके काम/नौकरी के चलते सैलरी के अतिरिक्त मिलती हैं। बैंक कर्मचारियों के इस नियम के खिलाफ चुनौती देने का मुख्य कारण यह है कि इन लोनों को वे केवल अपने बैंकों के अंदर ही ले सकते हैं, जो कि उनके नौकरी के अधीन होते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि ये लोन बैंक के कर्मचारियों को ही मिलते हैं और उनके व्यक्तिगत उपयोग के लिए होते हैं। इससे प्राप्त अनुलाभ को टैक्स के लाभ में शामिल करना उचित नहीं होता, क्योंकि यह केवल उनकी कार्यक्षमता को बढ़ावा देने का एक तरीका है और उनकी नौकरी से संबंधित है।

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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का पक्ष सही

Income Tax: विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों के यूनियन और ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इनकम टैक्स एक्ट और इनकम टैक्स रूल्स के संबंधित प्रावधानों की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पक्ष को सही माना। इस निर्णय से सुप्रीम कोर्ट ने उनके द्वारा दी गई निर्णयों को वैध और सही ठहराया है। इसमें यह स्पष्ट होता है कि संबंधित कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए। इस निर्णय के बाद, बैंक कर्मचारियों को इनकम टैक्स नियमों का पालन करने के लिए नए दिशा-निर्देश मिलेंगे, जो कि उनके वित्तीय परिस्थितियों को स्पष्ट करेंगे। यह निर्णय बैंक कर्मचारियों के और उनके संगठनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें कानूनी और न्यायिक संरक्षण प्रदान करता है। इसके अलावा, यह निर्णय वित्तीय प्रणाली के सुधार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये आदेश

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Income Tax: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा- बैंक अपने कर्मचारियों को कम ब्याज पर या बिना ब्याज के जो लोन की सुविधा देते हैं, वह उनकी अब तक की नौकरी या आने वाले समय की नौकरी से जुड़ी हुई है। ऐसे में यह कर्मचारियों को सैलरी के अलावा मिलने वाली सुविधाओं में शामिल हो जाती है और इन्हें अनुलाभ माना जा सकता है। इसका मतलब हुआ कि इनकम टैक्स के संबंधित नियमों के हिसाब से यह सुविधा टैक्सेबल हो जाती है। पीठ ने टैक्स के कैलकुलेशन के लिए एसबीआई के प्राइम लेंडिंग रेट को बेंचमार्क की तरह इस्तेमाल करने को भी स्वीकृति प्रदान कर दी। इस निर्णय से उन्होंने स्पष्ट किया कि बैंक कर्मचारियों को मिलने वाली ऐसी सुविधाओं को टैक्सेबल माना जाएगा, जो कि उनकी नौकरी से संबंधित हैं और उन्हें अपने कर्मचारियों के हित में दी जाती हैं। इससे बैंक कर्मचारियों के लिए नए टैक्स संबंधित नियमों के प्रति समझ बढ़ेगी और उन्हें अपने वित्तीय योजनाओं को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।

 

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