- Hidden island: दुनिया के ऐसे रहस्यमयी आइलैंड्स जहां जाना आम लोगों के लिए मुश्किल है—जानिए क्यों?
- Hidden island: सेंटिनल द्वीप पर जाने से डरते हैं दुनियाभर के लोग
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- Hidden island: हजारों साल से अलग–थलग रह रही है ये जनजाति
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- Hidden island: इन द्वीपों पर भी नहीं जा सकते आम इंसान
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Hidden island: दुनिया के ऐसे रहस्यमयी आइलैंड्स जहां जाना आम लोगों के लिए मुश्किल है—जानिए क्यों?
Hidden island: धरती पर आज भी कई ऐसी जगहें हैं जहां इंसानों का जाना मना है, और इसका मुख्य कारण भी इंसान ही हैं। ये स्थान न केवल खतरनाक होते हैं बल्कि इनकी सुरक्षा के लिए विशेष नियम बनाए गए हैं। उदाहरण के तौर पर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का सेंटिनल द्वीप ऐसा ही एक क्षेत्र है, जहां पर आदिवासी समुदाय निवास करता है और बाहरी लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह से पाबंदी है।
Hidden island: इसके पीछे मुख्य कारण आदिवासियों की सुरक्षा और उनके परंपरागत जीवन की रक्षा है। इसी तरह, ब्राजील के जंगली इलाकों में स्थित कुछ क्षेत्रों में भी मानव गतिविधियों पर प्रतिबंध है, ताकि जैव विविधता और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। इन जगहों पर पहुंचने की कोशिश न केवल कानूनी रूप से गलत है, बल्कि यह जीवन के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है।
Hidden island: सेंटिनल द्वीप पर जाने से डरते हैं दुनियाभर के लोग
Hidden island: नार्थ सेंटिनल द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान द्वीप समूह का एक हिस्सा है, जो दक्षिण अंडमान जिले में आता है। यह द्वीप मात्र 23 वर्ग मील क्षेत्र में फैला हुआ है और इसके चारों ओर घने जंगल और समुद्र का घेरा है। नर्थ सेंटिनल द्वीप पर मानवों का अस्तित्व लगभग 60 हजार सालों से है, लेकिन आज तक इस जनजाति का खान-पान, रहन-सहन और संस्कृति पूरी तरह से रहस्यमयी बनी हुई है।
Hidden island: इस द्वीप पर बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह से निषिद्ध है। भारत सरकार ने यहां की जनजातियों की सुरक्षा और उनके परंपरागत जीवन को बनाए रखने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह विनियमन, 1956 लागू किया है। इस नियम के अनुसार, किसी भी बाहरी व्यक्ति को इस द्वीप पर जाने की अनुमति नहीं है।
नर्थ सेंटिनल द्वीप की जनजाति, जिसे सेंटिनलीज़ कहा जाता है, बाहरी लोगों के प्रति बेहद सतर्क और शत्रुतापूर्ण व्यवहार करती है। वे अपनी सुरक्षा के लिए बाहरी लोगों को दूर रखने के लिए कट्टर दृष्टिकोण अपनाते हैं। किसी भी अप्राधिकृत व्यक्ति द्वारा द्वीप पर जाने की कोशिश करने पर जनजाति के लोग आक्रामक हो सकते हैं, जिससे न केवल विदेशी व्यक्तियों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि जनजाति की सांस्कृतिक संप्रभुता भी प्रभावित हो सकती है। इस द्वीप पर प्रवेश की सख्त पाबंदी, इसके निवासियों की विशिष्टता और स्वतंत्रता को संरक्षित रखने के प्रयास का हिस्सा है।
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Hidden island: हजारों साल से अलग–थलग रह रही है ये जनजाति
गौर करने वाली बात यह है कि नार्थ सेंटिनल द्वीप अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से केवल 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस द्वीप पर सेंटिनली जनजाति का निवास है, जिन्होंने आज तक किसी भी बाहरी हमले का सामना नहीं किया है। सेंटिनली जनजाति के लोग छोटे कद के होते हैं और उनके जीवन के तरीके पूरी तरह से अलग हैं।
Hidden island: रिसर्च और कार्बन डेटिंग के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि यह जनजाति इस द्वीप पर लगभग 2,000 सालों से रह रही है। उनके जीवनशैली और परंपराओं के बारे में जानकारी सीमित है क्योंकि बाहरी लोगों के लिए यहां का दौरा प्रतिबंधित है। चुनिंदा व्यक्तियों ने ही इस जनजाति के लोगों को देखा है। यदि कोई बाहरी व्यक्ति इनसे बातचीत करने की कोशिश करता है, तो जनजाति के लोग आक्रामक हो सकते हैं और उस व्यक्ति पर हमला कर सकते हैं। यह आक्रामकता उनकी सुरक्षा और अपनी सांस्कृतिक अस्मिता को बनाए रखने के लिए होती है। इस द्वीप पर प्रवेश की सख्त पाबंदी इनकी स्वतंत्रता और परंपराओं की रक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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Hidden island: इन द्वीपों पर भी नहीं जा सकते आम इंसान
Hidden island: नॉर्थ सेंटिनल द्वीप के अलावा, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में कई अन्य द्वीप हैं जहां आदिवासी समुदाय निवास करते हैं। इनमें से कुछ द्वीपों पर भी बाहरी लोगों का जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इन द्वीपों पर रहने वाले आदिवासी अपनी पारंपरिक जीवनशैली और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए बाहरी संपर्क से दूर रहना पसंद करते हैं।
इसके अतिरिक्त, अमेजन वर्षावन में भी कई ऐसे द्वीप और क्षेत्र हैं जहां आदिवासी समुदाय निवास करते हैं। ये आदिवासी बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग रहना पसंद करते हैं। अमेजन के इन आदिवासी समुदायों की जीवनशैली, संस्कृति और परंपराएं पूरी तरह से अनछुई और अद्वितीय हैं। वे अपनी पारंपरिक रीति-रिवाजों और जंगल की जीवनशैली को बनाए रखने के लिए बाहरी हस्तक्षेप से बचते हैं।
इन सभी क्षेत्रों में आदिवासी जनसंख्या की सुरक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए विशेष नियम और पाबंदियाँ लागू की गई हैं। इन जनजातियों के रहन-सहन और पारंपरिक जीवनशैली का सम्मान करते हुए, बाहरी लोगों को इन क्षेत्रों में जाने से रोका जाता है।