- Budget 2024: डिजिटल पेमेंट, आधार, माइक्रोफाइनेंस, भारत में वित्तीय गतिविधियों में आम लोगों की पहुंच बढ़ी, जानिए कैसे हो रहा फायदा
- भारत में वित्तीय गतिविधियों पर कैसे बढ़ी आम लोगों की पहुंच
- 1. प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)
- 2. डिजिटल भुगतान और UPI
- 3. आधार-आधारित सेवाएं
- 4. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)
- 5. माइक्रोफाइनेंस और स्वयं सहायता समूह (SHGs)
- 6. स्मॉल फाइनेंस बैंक्स और पेमेंट बैंक्स
- 7. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम
- 8. एटीएम और बैंकिंग संवाददाता
- क्या कहते हैं एक्सपर्ट
- अन्य देशों की तुलना में भारत कहां
Budget 2024: डिजिटल पेमेंट, आधार, माइक्रोफाइनेंस, भारत में वित्तीय गतिविधियों में आम लोगों की पहुंच बढ़ी, जानिए कैसे हो रहा फायदा
Budget 2024 : भारत में वित्तीय गतिविधियों तक आम लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल और नीतियां लागू की गई हैं। ये पहल और नीतियां वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जिससे अधिक से अधिक लोग वित्तीय सेवाओं का लाभ उठा सकें। यहाँ कुछ प्रमुख पहल और नीतियां दी गई हैं:
Budget 2024 : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) मार्च 2024 में 64.2 पर पहुंच गया है, जो कि भारत में वित्तीय गतिविधियों पर आम लोगों की पहुंच को दर्शाता है। यह इंडेक्स भारत में आम लोगों के बीच वित्तीय सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता को मापता है। आरबीआई द्वारा जारी बयान के मुताबिक, वित्तीय समावेशन के हर क्षेत्र में प्रगति दर्ज की गई है, जिससे स्पष्ट होता है कि विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी पहलों के माध्यम से वित्तीय सेवाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा रहा है।
आरबीआई का यह सूचकांक 0 से 100 के बीच अंकों के आधार पर भारत की वित्तीय सेवाओं की पहुंच को मापता है। जहां शून्य पूर्ण बहिष्कार को दर्शाता है, वहीं 100 अंक का मतलब सम्पूर्ण वित्तीय समावेशन है। यह सूचकांक तीन मुख्य मानदंडों – बैंकिंग सेवाओं की पहुंच, उनका प्रयोग और गुणवत्ता के आधार पर तैयार किया जाता है।
इस इंडेक्स के 64.2 तक पहुंचने का मतलब है कि वित्तीय सेवाओं का समावेश तेजी से बढ़ रहा है और लोग अब पहले की तुलना में अधिक संख्या में बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। इसके पीछे डिजिटल पेमेंट्स, आधार आधारित बैंक खाते, प्रधानमंत्री जन धन योजना, माइक्रोफाइनेंस और फिनटेक कंपनियों जैसी पहलों का बड़ा योगदान है।
वित्तीय समावेशन के हर क्षेत्र में प्रगति दर्शाती है कि सरकार और अन्य वित्तीय संस्थान सही दिशा में काम कर रहे हैं। इससे न केवल आर्थिक विकास में तेजी आएगी, बल्कि आम जनता की जीवनशैली में भी सुधार होगा। आरबीआई का यह सूचकांक एक महत्वपूर्ण संकेतक है जो यह बताता है कि भारत किस हद तक वित्तीय समावेशन की दिशा में आगे बढ़ रहा है और लोगों को आर्थिक मुख्यधारा में शामिल कर रहा है।