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Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली 10 सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

Civilizations that eradicated climate change : जीवन का नवीनीकरण , मौसमी बदलाव से सीख लेना सभ्यताओं की अमिट धरोहर का मूल्यांकन करता है |

Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |
Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

Civilizations that eradicated climate change : पृथ्वी का मौसम हमेशा बदलता रहता है। यह बदलाव एक नियमित प्रक्रिया है जिसमें गर्मियों से ठंडी, बारिश से शुष्कता तक कई प्रकार की परिवर्तनात्मक परिस्थितियां होती हैं। पर्यावरण के इस नियमित चक्र को हम रोक नहीं सकते, परंतु हमें इसका सामना करना जरूरी है।ऐतिहासिक अध्ययन से पता चलता है कि

Civilizations that eradicated climate change: जब कोई सम्राट या सम्राटी अधिक अधिक उत्पादन करते थे और प्राकृतिक संसाधनों को अत्यधिक अवशोषित करते थे, तो उन्हें पर्यावरणीय संतुलन को तोड़ने का नतीजा भुगतना पड़ता था। इससे जलवायु परिवर्तन का असर होता था और सम्राटों की संपत्ति भी नष्ट होती जाती थी।

इससे सीखना चाहिए कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए ताकि हमारी सभ्यता और पर्यावरण समृद्ध और स्थिर रह सकें।

Civilizations that eradicated climate change : पिछले 650,000 सालों में, धरती पर सात बार हिमयुग आये और गए हैं। इसके कारण, बड़ी बर्फ की चादरें, जिन्हें ग्लेशियर कहते हैं, फैली और सिमटी रहीं। आख़िरी बड़ा हिमयुग करीब 11,000 साल पहले समाप्त हुआ था और उसके बाद से धरती का मौसम काफी हद तक स्थिर रहा है।इस तरह की धरती के मौसमी परिवर्तन की एक बड़ी वजह है ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती मात्रा।

Civilizations that eradicated climate change :  यह गैसें प्राकृतिक तौर पर गर्मी को धरती पर बंद करती हैं, जिससे समृद्ध जीवन के लिए आवाज़ होती है। लेकिन इन गैसों की अत्यधिक बढ़ती मात्रा के कारण वे मौसम में असंतुलन उत्पन्न कर सकती हैं, जो धरती के जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है।

इसलिए, हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने और पर्यावरण के संतुलन का ध्यान रखने की आवश्यकता है ताकि हमारा मौसम स्थिर रहे और हमें सुरक्षित रखने में मदद मिले।

1200 से 1850 ईस्वी के बीच, एक छोटे हिमयुग की परिक्रमा आई थी, जिसे हिमयुग के रूप में जाना जाता है। इस दौरान, जलवायु परिवर्तन सिर्फ बर्फ की चादरों के फैलने और सिमटने से ही सीमित नहीं रहा। अनेक महत्वपूर्ण समाजों ने अपने क्षेत्र के मौसम में परिवर्तन की वजह से नुक़सान उठाया है।

Civilizations that eradicated climate change : इसके अलावा, हिमयुग के अनुपात में वृद्धि तो थी, पर इसका अधिकांश असर उत्तरी अमेरिका और यूरोप के क्षेत्रों में ही हुआ था। इस प्रकार, यह प्रश्न भी उठता है कि क्या इसका अधिकांश असर विश्व के अन्य हिस्सों में भी था।जलवायु परिवर्तन ने ऐतिहासिक रूप से समृद्ध सभ्यताओं को भी प्रभावित किया है, जिससे हमें यह सिखना चाहिए कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का सही ढंग से उपयोग करना चाहिए ताकि हमारी सभ्यता और पर्यावरण दोनों ही समृद्ध रह सकें।

Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |
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सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization)

Civilizations that eradicated climate change : लगभग 3000 ईसा पूर्व, आज के पाकिस्तान में सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव हुआ था, जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। यह समाज अपने शानदार शहरों और पानी के भंडारण के तरीकों के लिए प्रसिद्ध था। सिंधु घाटी की सभ्यता घनी आबादी वाले शहरों में बसी थी। उनका जीवन व्यापार और खेती पर आधारित था।लेकिन करीब एक हजार साल बाद, जलवायु परिवर्तन ने इन लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया। धरती के मौसमी परिवर्तन ने उनके जलस्तरों को बदल दिया, जिससे उन्हें अपने जल संसाधनों के उपयोग में कठिनाई पेश आई। यही कारण था कि सिंधु घाटी सभ्यता का संघर्ष शुरू हो गया और इसका अस्तित्व समाप्त हो गया।

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इससे हमें यह सीखना चाहिए कि हमें प्राकृतिक परिवर्तनों का समृद्धिपूर्ण तरीके से सामना करना चाहिए, ताकि हमारी सभ्यता और पर्यावरण सहयोगी रहें।

Civilizations that eradicated climate change : शोधकर्ताओं का मानना है कि सूखे ने इस सभ्यता को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अनुमान है कि 2000 ईसा पूर्व के आसपास मानसून की बारिश में कमी आई और इसके साथ ही वहां की आबादी में भी तेजी से गिरावट हुई। उसी समय एशिया की दूसरी सभ्यताओं ने भी जलवायु से जुड़ी समस्याओं का सामना किया और उनका जीवन भी प्रभावित हुआ। इस स्थिति में, सिंधु घाटी के बचे लोगों ने 200 साल तक मुश्किलों से जूझा और अंत में शायद पूर्व की ओर पलायन किया।

सूखे की यह प्रक्रिया न केवल सिंधु घाटी को प्रभावित किया, बल्कि इसने एशिया की बड़ी-बड़ी सभ्यताओं को भी प्रभावित किया जिन्होंने भी मौसमी बदलावों के सामने अच्छी तरह से मुकाबला किया।

Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

पुएब्लो सभ्यता (Pueblo Civilization) 

Civilizations that eradicated climate change : जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप सिंधु घाटी की सभ्यता की हालत अकेले इतिहास में नहीं है। पुएब्लो सभ्यता जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में से एक है, जो सबसे प्रसिद्ध सभ्यताओं में से एक है। इन लोगों ने लगभग 300 ईसा पूर्व से कोलोराडो पठार क्षेत्र में रहा। ज्यादातर जनजातियां चाको कैन्यन, मेसा वर्डे, और रिओ ग्रांडे के आसपास निवास करती थीं। वे खेतीबाड़ी करके अपना जीवन जीते थे, खासकर मक्के की फसल पर निर्भर थे।

जलवायु परिवर्तन के कारण, पुएब्लो समुदाय में संकट आया, जिससे उनका जीवन बहुत ही मुश्किल हो गया। इससे हमें सीखना चाहिए कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए, ताकि हमारी सभ्यता और पर्यावरण समृद्ध और स्थिर रह सकें।

समय के साथ, पुएब्लो सभ्यता को एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ा। इस समय में, लोगों ने फसल उगाने के लिए जंगलों को काट दिया, जिससे खेती के लिए जमीन अनुकूल नहीं रह गई और उपजाऊता में कमी आ गई। इसके अलावा, मौसम में भी बदलाव आया, जिससे बुवाई का समय कम होता गया और बारिश भी कम होने लगी, जिससे फसलों की उपज कम होने लगी।

1225 ईस्वी के आसपास, पुएब्लो की बस्तियों की स्थिति भी परेशान करने लगी। यहां की जनसंख्या घटती चली गई और बस्तियों का अधिकांश समाप्त होने लगा। इस चुनौती ने समुदाय को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने के लिए मजबूर किया। यह सीखने के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से प्रबंधन करना चाहिए ताकि हमारी सभ्यता और पर्यावरण सहयोगी रह सकें।

Civilizations that eradicated climate change 🙁 पुएब्लो सभ्यता) जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

माया सभ्यता (Maya Civilization)

Civilizations that eradicated climate change: 8वीं और 9वीं सदी में माया सभ्यता का अचानक पतन इस समय के शोधकर्ताओं को हैरान कर रहा है। माया सभ्यता मेसोअमेरिका का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र थी, जो की अपनी कला, वास्तुकला, और परिष्कृत ग्रंथों के लिए जानी जाती थी। युकाटन प्रायद्वीप में 2600 ईसा पूर्व में बनी यह सभ्यता विशेषकर अपनी वास्तुकला के लिए मशहूर थी।

माया सभ्यता का पतन समूचे क्षेत्र को प्रभावित किया, जिसके कारण उनकी शैली, कला, और साहित्य में गिरावट आई। इसकी अध्ययन और विश्लेषण से पता चलता है कि यह पतन केवल एक ही कारण पर नहीं हुआ, बल्कि इसमें अनेक कारकों का संयोजन था। शोधकर्ताओं का मानना है कि राजनीतिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय बदलावों का संयोजन ही माया सभ्यता के विनाश का मुख्य कारण था।

मेसोअमेरिका में माया सभ्यता एक समृद्ध और सम्पन्न संस्कृति थी, जो लगभग 3000 सालों तक विकसित रही। इनका साम्राज्य पूरे युकाटन प्रायद्वीप और आधुनिक ग्वाटेमाला, बेलीज, मेक्सिको के कुछ हिस्सों, पश्चिमी होंडुरास और अल सल्वाडोर में फैला हुआ था।माया सभ्यता की आधारशिला कृषि पर थी, जिससे जनसंख्या बढ़ती गई और महान शहरों का निर्माण हुआ। इन शहरों में आधुनिक अस्तव्यस्त सुविधाएं और विशेषताएं थीं।

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धर्म माया सभ्यता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। उनका उद्देश्य देवताओं को खुश करना, पोषण करना और भूमि को उपजाऊ रखना था। उनकी समाज में धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों की गहरी प्राथमिकता थी।लेकिन समय के साथ बदलती परिस्थितियों ने भी माया सभ्यता को प्रभावित किया और अंततः इसे अपनी समृद्धि और शानदारी के चक्कर में विनाश का सामना करना पड़ा।

माया सभ्यता के लिए 900 ईस्वी के आसपास समस्याओं की भारी बारिश शुरू हो गई थी। इस दौरान आबादी बढ़ गई, जिससे जरूरी चीजों के लिए बढ़ता दबाव पड़ने लगा। ज्यादा लोगों की वजह से उनके बीच झगड़े होने लगे और दर्जनों लोगों की लड़ाई और जनसंख्या के बारे में चिंताएं बढ़ने लगीं।साथ ही, कई सालों तक सूखा भी चला जिससे उनकी फसलें नुकसान हुआ और पीने का पानी भी कम हो गया। इससे माया समाज में भूखमरी और भूमि संकट आने लगे। इस समय उनकी समृद्धि में धीरे-धीरे कमी आने लगी और विभिन्न समस्याएं उभरने लगीं।

इस प्रकार, 900 ईस्वी के आसपास माया सभ्यता के लिए एक बुरा समय शुरू हो गया था जिसने उनकी नास्तिकता की ओर बढ़ते कदम लिए। यह समय था जब उन्हें अपनी संस्कृति और स्थायित्व के साथ-साथ समस्याओं का सामना भी करना पड़ा।

Civilizations that eradicated climate change : (माया सभ्यता) जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

अक्काद साम्राज्य (Akkadian Empire)

Civilizations that eradicated climate change: इराक, सीरिया, और तुर्की के क्षेत्र में स्थित मेसोपोटामिया में 4000 साल पहले अक्काद साम्राज्य ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस साम्राज्य के नेता सर्गन की प्रमुखता में यहाँ की संस्कृति, कला, और अर्थतंत्र ने विकास किया।

लेकिन एक अचानक सूखा दौर ने उनकी सारी योजनाओं को पानी फेला दिया। इस सूखे का असर ईसा पूर्व 2200 के आसपास था, जब मध्य-पूर्व क्षेत्र में मौसम लगातार बदल रहा था। यह बदलाव लोगों के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित किया। खेती और जल संसाधनों में कमी के कारण लोगों को पानी और खाद्य संकट का सामना करना पड़ा।अक्काद साम्राज्य की भव्यता और शक्ति का अंत हो गया, और समृद्धि की जगह विनाश ने ले ली। यह एक महत्वपूर्ण घटना थी जो इतिहास के पृष्ठों में लिखी गई है।

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सूखे के आगमन से, लोगों के पास जीवन बनाए रखने के लिए पानी और खेती की उपजाऊ जमीन की तलाश शुरू हो गई। यही कारण था कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों की बजाय उन इलाकों में लोगों की संख्या बढ़ने लगी जहां पानी और खेती के लिए अधिक संभावनाएं थीं।

लेकिन यह सूखे के बढ़ते प्रभाव के कारण और भी कई संकट उत्पन्न हुए। लोगों की संख्या की बढ़ते हुए सामूहिक दबाव, संसाधनों की अत्यधिक उपयोग और बढ़ती दरारें सूखाग्रस्त इलाकों को भी पीड़ा पहुंचाने लगीं।इससे बचते संसाधनों का दबाव बढ़ गया और समय के साथ साम्राज्य की अस्तित्वकाल खत्म हो गई। संभावना है कि इस चरम दुर्भाग्यपूर्ण समय में अक्काद साम्राज्य के निर्माण में आये तरंगों का अंत हुआ। इससे भी प्रकार, सूखे के प्रभाव से समृद्ध रहने की योजनाओं ने साम्प्रदायिक, सामाजिक, और आर्थिक स्थितियों में बदलाव का रोया।

Civilizations that eradicated climate change : (अक्काद साम्राज्य) जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

 

खमेर साम्राज्य (Khmer Empire)

Civilizations that eradicated climate change: दक्षिण-पूर्व एशिया की खमर साम्राज्य (802 से 1431 ईस्वी के बीच) एक महत्वपूर्ण सभ्यता थी, जिसे अंगकोर वाट मंदिर के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। इस साम्राज्य ने अपनी समृद्धि और सांस्कृतिक विकास के लिए विख्यात था।

लेकिन, जैसे-जैसे समय बदलता गया, इस सम्राट्य ने भी जलवायु परिवर्तन की चुनौती सामना की। सूखे और कई बार असामान्य बारिश की वजह से उनके कृषि प्रणाली, जल संसाधन, और आर्थिक संरचना पर असर पड़ा। ये परिस्थितियां साम्राज्य को धीरे-धीरे अस्थिर बना दिया।

जलवायु परिवर्तन का यह असर उनकी शानदार अंगकोर वाट मंदिर की रचना और सांस्कृतिक विकास पर भी पड़ा। इस दौरान, उन्होंने अपनी जल संसाधन योजनाओं और कृषि प्रणाली में संशोधन किया, लेकिन यह चुनौतियां आखिरकार इस साम्राज्य की पतन का कारण बनी। खमर साम्राज्य की यात्रा और उसके बाद की स्थिति हमें ऐतिहासिक प्रेरणा और सीखें देती हैं।

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ग्रीनलैंड के वाइकिंगों की कहानी भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का उदाहरण है। करीब 500 साल तक वाइकिंगों ने इस द्वीप को अपना घर माना, लेकिन जैसे-जैसे तापमान में गिरावट हुई, उनका जीवन बहुत कठिन हो गया।वाइकिंगों के लिए खेती और मवेश पालना महत्वपूर्ण था, लेकिन तापमान के परिवर्तन से उनकी खेती की पैदावार बहुत कम हो गई। इसके परिणामस्वरूप, वे अपनी खाने की आदतों में परिवर्तन करने पर मजबूर हुए, समुद्र से ज्यादा से ज्यादा मछली पकड़ने लगे।

तापमान के अनुकूलन के बावजूद, ग्रीनलैंड पर रहना इतना मुश्किल हो गया कि वाइकिंगों को अपनी बस्ती को छोड़ना पड़ा। यह एक साम्राज्य के अध्याय का अंत था, जो जलवायु परिवर्तन के चेहरे से निपटने की कोशिश करते हुए अपनी सामर्थ्य को दिखाने का प्रयास करता रहा।

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चोल साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य का पतन (The decline of the Chola Empire and the Gupta Empire)

Civilizations that eradicated climate change: पर्यावरणीय परिवर्तन ने चोल साम्राज्य के भविष्य को प्रभावित किया। इतिहासकार तिरूमलाई के अनुसार, 12वीं शताब्दी के बाद से कावेरी और चेय्यार नदी में बार-बार बाढ़ आती रही, जिसने स्थानीय जनता को कठिनाई में डाल दिया। यह बाढ़ें बहुत भयानक थीं, क्योंकि इन्होंने खेती, पानी की आपूर्ति, और समुद्री वाणिज्य में अस्थिरता पैदा की।

चोल साम्राज्य में, इस संकट का सामना करने के लिए जमींदारों ने कठिन प्रतिबंधों को स्थापित किया, जैसे कि किसानों पर कर देना और नियमित बारिश के समय खेतों को छोड़ना। ये नियम जमींदारों के लिए आसान नहीं थे, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि कुछ स्तर पर खेती और जलवायु परिवर्तन के क्षतिग्रस्त क्षेत्रों की सुरक्षा की जाए।इस प्रकार, प्राकृतिक अथवा पर्यावरणीय परिवर्तन ने साम्राज्यों को संजीवनीकृत करने के लिए नई नीतियां और उपाय अपनाने के लिए मजबूर किया।

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प्राकृतिक संकट के समय में, कुछ लोगों ने इस अवसर का फायदा उठाया और संकट के विनाश के बाद भी अमीर बन गए। वे खराब स्थिति में जमीनें सस्ते में खरीद लेते थे और बाद में उन्हें महंगे दामों पर बेच दिया जाता था। इससे कुछ लोग विशेष समृद्धि प्राप्त कर गए, जबकि दूसरे अधिकांश लोग गरीब हो गए।

विशेष रूप से 12वीं और 13वीं सदी के दौरान, शिलालेखों से पता चलता है कि लोग अपने खुद को गुलामी में बेचने लगे थे। अमीर लोगों ने गरीबों को अपनी शक्ति के साथ दबाव में रखा और उन्हें अनुग्रह दिया।

इस प्रकार, प्राकृतिक संकट ने मानवीय समाज के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित किया। यह संकट न केवल प्राकृतिक बल्कि मानवीय कारणों से भी बढ़ गया, जिससे समाज में विषमता और असमानता बढ़ी।

इतिहासकार काइल हार्पर ने अपनी किताब ‘द फेट ऑफ रोम: क्लाइमेट, डिजीज एंड द एंड ऑफ एन एम्पायर’ में बर्फ के नमूनों और पेड़ों के छल्लों का अध्ययन किया है। उनके अनुसार, 536 ईसवी में विश्व स्तर पर भयानक ठंड पड़ी थी जो ज्वालामुखी विस्फोटों के कारण हुई थी।

इस ठंड की वजह से आसमान का काला पड़ना, लंबी सर्दियां और फसलों की बर्बादी हुई। यह घटना वैश्विक स्तर पर अस्तित्व धारण करती है और इसे ‘द ग्रेट मिडवेस्टर्न स्नोस्टॉर्म’ कहा जाता है।

साथ ही, इसी समय भारत में हूणों का आक्रमण हुआ जिससे गुप्त साम्राज्य का पतन हुआ। हार्पर का अनुसंधान इस अद्वितीय घटना को संदर्भित करता है जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को दर्शाता है। यह अद्वितीय घटनाक्रम इतिहास के प्रति हमारी जागरूकता बढ़ाता है और प्राकृतिक संकटों के प्रभाव को समझने में मदद करता है।

चोल साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य का पतन | Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

रोमन साम्राज्य (Roman Empire)

Civilizations that eradicated climate change : शोधकर्ताओं के मानने के अनुसार, रोमन साम्राज्य के पतन से पहले वहां फैली सबसे खतरनाक बीमारियों का जलवायु परिवर्तन से नाता था। जलवायु में बदलावों ने रोमन समाज में ऐसी बीमारियों को पैदा किया जिनसे भयानक तबाही मच गई। छठी शताब्दी ईस्वी में फैली प्लेग नाम की बीमारी के बारे में बीजान्टिन इतिहासकार प्रोकोपियस ने विवरण दिया था, जो एक महामारी थी जिससे पूरी मानव जाति लगभग खत्म होने के कगार पर पहुंच गई थी।

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यह साम्राज्य के लगभग 100 साल के अंतिम समय में हुई बीमारी थी, जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई। इसने समाज में भयंकर भूखमरी, अराजकता और अन्य रोगों का फैलाव भी किया। इससे लोगों के जीवन में अच्छलाई आई और सामाजिक संरचना में बदलाव आया। इस घटना का इतिहास में बड़ा महत्व है, जो मानव जाति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।रोमन साम्राज्य की आधी आबादी और भूमध्य सागर के आसपास के लाखों लोगों की मौत बुबोनिक प्लेग के प्रकोप से हुई हो सकती है, जिसे अब बुबोनिक प्लेग का प्रकोप माना जाता है। यह बीमारी आमतौर पर बुखार के साथ शुरू होती थी, उसके बाद कमर और बगल में सूजन, फिर कोमा या प्रलाप और अंत में मौत हो जाती थी।

एक अध्ययन में यह प्रकट हुआ कि रोमन साम्राज्य में फैली महामारियों को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा सकता है। जलवायु में परिवर्तन ने रोमन समाज में तनाव पैदा किया जिसके परिणामस्वरूप ऐसी महामारियां हो सकती थीं।यह तथ्य दिखाता है कि इस समय के वैज्ञानिक सिद्धांतों में जलवायु परिवर्तन और महामारियों के बीच संबंध हो सकता है, जिससे ऐसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है। इससे हमें आज की समय में भी जलवायु परिवर्तन को सावधानी से देखने की आवश्यकता है और समुदाय के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए सही कदम उठाने चाहिए।

रोमन साम्राज्य Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

रपा नुई सभ्यता (Rapa Nui Civilization)

Civilizations that eradicated climate change : रपा नुई (ईस्टर आइलैंड) की सभ्यता (आज के चिली में स्थित एक द्वीप पर थी) 400 से 700 ईस्वी के बीच शुरू हुई थी। ये सदियों तक एक संपन्न कृषि समाज के रूप में जानी जाती थी। लेकिन 1700 के दशक से शुरू होकर यूरोपीय लोगों ने इस इलाके में आकर कब्जा करना शुरू कर दिया। उन्होंने वहां के मूल निवासियों का भयानक कत्लेआम किया और साथ ही बहुत से लोगों को वहां बसने के लिए ले आए।

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बहुत से शोधकर्ताओं का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और आबादी के अत्यधिक बढ़ने से रपा नुई का पतन हुआ। 1300 ईस्वी के आसपास छोटा हिमयुग शुरू हुआ जिसकी वजह से लंबे समय तक सूखा पड़ा।

जमीन की वो मिट्टी जो कभी बहुत उपजाऊ थी, उसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने के कारण कम उपजाऊ होती जा रही थी। खाने की पैदावार कम हो रही थी, वहीं दूसरी तरफ खाने की जरूरत बढ़ती जा रही थी। नतीजा ये हुआ कि इस सभ्यता को लंबे समय तक खाने की कमी का सामना करना पड़ा और 1800 के आने से पहले ही ये खत्म हो गई।

इस विषय पर विशेषज्ञों का कहना है कि मिट्टी की यह बदलाव सिर्फ खाने की पैदावार कम होने का ही नहीं, बल्कि उसके साथ-साथ अन्य कई कारणों से भी हुआ। जैसे कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, और बढ़ती आबादी के प्रभाव। खासकर इस समय में लंबे समय तक भीषण सूखे का सामना हुआ था, जिससे खेती की पैदावार पर भी असर पड़ा।इसके साथ ही, इस समय में कृषि तकनीकों में भी बदलाव आया था। पहले के मुकाबले नई तकनीकों के इस्तेमाल से खेतों की उपजाऊता और बढ़ गई थी, जिससे पहले के तुलनात्मक खाने की कमी कम हुई।

इसी दौरान, खाने की मांग में भी वृद्धि हुई थी क्योंकि आबादी के बढ़ जाने के साथ लोगों की खाने की मांग भी बढ़ी थी। इस प्रकार, इन सभी कारणों से मिट्टी की उपजाऊता में कमी आई और इसका असर समाज पर भी पड़ा।

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अंगकोर कंबोडिया (Angkor, Cambodia)

Civilizations that eradicated climate change: अंगकोर, कंबोडिया का एक विशाल शहर था जो 1100 से 1200 ईस्वी के बीच बना था। यह शहर ख़्मेर साम्राज्य का गौरव था और इसे उसके भव्य मंदिरों और पानी की व्यवस्था के लिए जाना जाता था। समुद्र के क़रीब होने के कारण, अंगकोर में अक्सर गर्मियों में मानसून आता था जो बारिश का पानी विशाल जलाशयों में एकत्र कर लेता था।

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Civilizations that eradicated climate change : अंगकोर की सबसे प्रमुख नींव अंगकोर वाट नामक मंदिर है जो इसकी महत्वपूर्णता को दर्शाता है। इस बड़े मंदिर का निर्माण उस समय के पाण्डुलिपियों द्वारा किया गया था। ये मंदिर अद्वितीय स्थापत्यकला का उदाहरण हैं और उनकी सुंदरता ने लोगों को हराकर रख दिया।अंगकोर के इस समृद्धि के दौरान, इसकी समाज सृजनात्मकता और विज्ञान में भी उन्नति कर रहा था। इस शहर में अनेक अद्भुत कलाकृतियां, प्राचीन साहित्य, विज्ञानिक शोध, और विज्ञानी उत्कृष्टता के उदाहरण मिलते हैं।

हालांकि, अंगकोर की ख़बरें आजकल इसकी चिंताजनक स्थिति के कारण हैं। इस समय, इसे विपत्तियों से जूझना पड़ रहा है जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं, पर्यावरणीय अस्तित्व की समस्याएं, और अत्यधिक पर्यावरणीय दबाव। इन सभी कारणों से, अंगकोर की भव्यता को बचाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

समय के साथ मानसून की चक्रवात तथा उसके आने जाने में अनियमितता आ गई। कभी-कभी अत्यधिक बारिश होती थी, जबकि कभी सूखे का या अत्यल्प बारिश वाले मानसून का सामना करना पड़ता था। 1300 से 1400 ईस्वी के बीच, इस शहर में मानसून अधिक खराब रहा। बाढ़ के कारण जलाशय और नहरें खराब हो गईं, जिससे खाने का उत्पादन भी कम हो गया।इस समय यहाँ पर भूमिका-भंग और सांस्कृतिक विपर्यास भी देखे गए। बाढ़, सूखे, और अनियमित मानसून ने इस सभ्यता को प्रभावित किया। जलाशयों में गंदगी, संक्रांति, और जलवायु परिवर्तन से यहाँ की जलसंपदा भी प्रभावित हुई। इससे खाने का उत्पादन मात्रा में कमी हो गई, जिससे यहाँ की स्थिति और भी खराब हुई।

समय के साथ, जलवायु के परिवर्तन और प्राकृतिक विपदाओं के चलते अंगकोर का अंत हो गया। इसी दौरान, लोगों के बीच विद्रोह भी हुआ और सामाजिक असामंजस बढ़ गया। विद्वानों के अनुसार, इस अस्थिरता का बड़ा हिस्सा शहर के अवसान में खाने की मांग की असंतुलन से था।

अंगकोर कंबोडिया Civilizations that eradicated climate change :जलवायु परिवर्तन का नाश करने वाली सभ्यताओं और साम्राज्यों की कहानी |

भविष्य के लिए क्या है खतरा (What is the danger for the future?)

Civilizations that eradicated climate change : आईपीसीसी के अनुसार, मानव गतिविधियों के कारण वैश्विक तापमान में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। इसकी संभावित सीमा 0.8 डिग्री सेल्सियस से 1.2 डिग्री सेल्सियस के बीच है। 2030 और 2052 के बीच वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है।

तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी से 20% से 30% जानवरों की प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच सकती हैं। अगर पृथ्वी का तापमान औसतन 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है तो नुकसान और भी भयानक होगा। मानव आबादी के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरों में से एक बढ़ता समुद्र स्तर है और दुनिया के 10 सबसे बड़े शहरों में से आठ तटीय स्थानों पर हैं।

यह तापमान में बढ़ोतरी विशेषकर बाढ़, सूखे, तूफान, और बिगड़ते मौसम को बढ़ावा देती है, जो जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इससे जीवनी संभावनाएं कम होती हैं और खाद्य संकट भी बढ़ जाता है। समुद्र स्तर की वृद्धि से तटीय क्षेत्रों में भूमि का अपघात होता है, जो लोगों के निवास स्थानों को प्रभावित करता है।

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इस समस्या का समाधान करने के लिए हमें जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। वन्यजीव संरक्षण, जल संरक्षण, और ऊर्जा संयंत्रों का सुधार इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही सही समय है कि हम जल्दी से जल्दी साइंटिस्ट्स, पॉलिटिशियंस, और समुदाय के साथ मिलकर कदम उठाएं ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य दे सकें।

ऑस्ट्रेलिया के क्लाइमेट एक्सपर्टों ने एक रिपोर्ट में बताया है कि जलवायु परिवर्तन मानव सभ्यता के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। उनकी भविष्यवाणी के अनुसार, पृथ्वी के तेजी से गरम होने के कारण 2050 तक मानव सभ्यता को बड़े प्रमाण में खत्म होने का सामना करना पड़ सकता है। इस रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के असर से कई लोगों को अपने निवास स्थान से पलायन करना पड़ सकता है, जिससे समाज में अस्थिरता और उतार-चढ़ाव हो सकता है।

यह संकेत करता है कि हमें जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेना चाहिए और इसके संबंध में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। इससे पहले कि हमारी सभ्यता को भविष्य में कोई नुकसान हो, हमें अपने वातावरण के प्रति ज़िम्मेदारी से निपटने की आवश्यकता है। उचित प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण, और जल संरक्षण के लिए नई और सुचारू नीतियों को लागू करना हमारे लिए जरूरी है। इसके अलावा, सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है ताकि लोग जलवायु परिवर्तन के कारणों को समझें और इसके विरुद्ध सक्रियता दिखाएं।

जलवायु परिवर्तन के खतरों को हमें सीरियसली लेना चाहिए, क्योंकि इससे हमारी पृथ्वी और सभी जीवन रूपों को खतरा है। हालांकि, हमें निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन के बावजूद भी, हमारे पास कुछ बड़े अवसर हैं।

ऐतिहासिक सभ्यताओं के उलट आज हमारे पास तकनीकी, विज्ञान, और नवाचार के लिए अनगिनत उपाय हैं। हमें जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामना करने के लिए नई और सकारात्मक दिशानिर्देश तैयार करने की आवश्यकता है। ऊर्जा संरक्षण, जल संरक्षण, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अधिक संचार और शोध और विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है।

साथ ही, समाज में जागरूकता और शिक्षा को भी महत्व देना चाहिए। जलवायु परिवर्तन के कारणों और इससे होने वाली प्रभावों को समझने के लिए सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम और शिक्षा कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए।इसके अलावा, हमें नई संयुक्त संगठनों, सरकारों, और अन्य संगठनों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे हम एक मजबूत और सुरक्षित भविष्य के लिए साझा दायित्व और योजनाएं बना सकते हैं जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने में मदद करेंगी।

समय में सभी के साथ मिलकर, हम संभावित खतरों का सामना कर सकते हैं और एक स्थिर, सुरक्षित, और सामर्थ्यवान समाज निर्माण कर सकते हैं।

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