Short and Long term Capital: Short term और Long term Capital गेन टैक्स बढ़ने से शेयर बाजार में भारी गिरावट |

शेयर बाजार से होने वाली आय पर बढ़ा टैक्स, वित्त मंत्री ने Short term और Long term Capital गेन टैक्स में की वृद्धि |

Short and Long term Capital: Short term और Long term Capital गेन टैक्स बढ़ने से शेयर बाजार में भारी गिरावट
Short and Long term Capital: Short term और Long term Capital गेन टैक्स बढ़ने से शेयर बाजार में भारी गिरावट

Short and Long term Capital: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शेयर बाजार और प्रॉपर्टी जैसे एसेट्स से होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स पिछले क्लोजिंग से 1270 अंक नीचे गिर गया, वहीं निफ्टी में भी 480 अंकों की गिरावट आई। मिडकैप स्टॉक्स को सबसे बड़ा झटका लगा, जहां निफ्टी के मिडकैप इंडेक्स में 2000 अंकों से अधिक की गिरावट हुई। इसी तरह, निफ्टी का स्मॉलकैप इंडेक्स भी करीब 1000 अंक नीचे चला गया। हालांकि, बाजार ने निचले स्तर से शानदार वापसी की है।

Short and Long term Capital: वित्त मंत्री ने हाल ही में कुछ एसेट्स पर Short term Capital गेन टैक्स को बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है। फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स पर इनकम टैक्स रेट के हिसाब से Short term Capital गेन टैक्स लगाया जाएगा। यह कदम उन निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा जो कम समय में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं।

इसके अतिरिक्त, वित्त मंत्री ने कुछ विशेष एसेट्स पर Long term Capital गेन टैक्स को भी 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। Long term Capital गेन के तहत मिलने वाली छूट की सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। यह बदलाव उन निवेशकों को प्रभावित करेगा जो लंबे समय तक अपने निवेश को होल्ड करते हैं।

Short and Long term Capital: इन बदलावों का उद्देश्य सरकार की राजस्व वृद्धि को सुनिश्चित करना और कर व्यवस्था को मजबूत बनाना है। इन सुधारों के जरिए सरकार की योजना है कि अधिक से अधिक लोग अपने निवेश को दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखें और करों का सही ढंग से पालन करें।

Short and Long term Capital: नए टैक्स नियमों के चलते निवेशकों को अपने निवेश रणनीतियों को पुनः विचार करना होगा। इन बदलावों से Short term निवेशकों को थोड़ा अधिक टैक्स देना होगा, जबकि लॉन्ग टर्म निवेशकों को भी कुछ अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा। यह देखा जाना बाकी है कि ये नए नियम बाजार में किस प्रकार के प्रभाव डालते हैं और निवेशक इनसे कैसे निपटते हैं।

फाइनेंस बिल 2024 के अनुसार, कैपिटल गेन के टैक्स नियमों को सरलीकृत और तर्कसंगत बनाया गया है। इस सरलीकरण के तीन मुख्य घटक हैं। सबसे पहले, Short term Capital गेन और Long term Capital गेन निर्धारित करने के लिए केवल 12 महीने और 24 महीने का दो होल्डिंग पीरियड होगा। स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध सिक्योरिटीज के लिए 12 महीने का होल्डिंग पीरियड निर्धारित किया गया है, जबकि अन्य एसेट्स के लिए 24 महीने का होल्डिंग पीरियड होगा।

दूसरे, बॉन्ड, डिबेंचर और सोने के लिए होल्डिंग पीरियड को 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दिया गया है। इससे निवेशकों को इन एसेट्स पर लाभ कमाने के लिए कम समय तक होल्ड करने की आवश्यकता होगी, जिससे उनके लिए निवेश अधिक आकर्षक बनेगा।

तीसरे, अनलिस्टेड शेयर्स और अचल संपत्ति के लिए होल्डिंग पीरियड 24 महीने की अवधि ही बनी रहेगी। इसका मतलब है कि इन एसेट्स पर लाभ कमाने के लिए निवेशकों को पहले की तरह ही दो साल तक होल्ड करना होगा।

Short and Long term Capital: इन नए नियमों का उद्देश्य कैपिटल गेन टैक्स के निर्धारण को सरल बनाना और विभिन्न प्रकार के एसेट्स के लिए होल्डिंग पीरियड को स्पष्ट करना है। इस बदलाव से निवेशकों को अपने निवेश को बेहतर ढंग से योजना बनाने में मदद मिलेगी और टैक्स संबंधी जटिलताओं को कम किया जा सकेगा। इन सुधारों से निवेश के वातावरण को भी बेहतर बनाने की उम्मीद है।

इक्विटी शेयर्स और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर पहले 15 फीसदी Short term Capital गेन टैक्स लगाया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। फाइनेंस बिल के मुताबिक, Short term Capital गेन टैक्स बेहद कम था और इसका फायदा मुख्यतः हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स को ही मिलता था।

Short and Long term Capital: Short term और Long term Capital गेन टैक्स बढ़ने से शेयर बाजार में भारी गिरावट
Short and Long term Capital: Short term और Long term Capital गेन टैक्स बढ़ने से शेयर बाजार में भारी गिरावट

Short and Long term Capital: फाइनेंस बिल के मेमोरंडम के अनुसार, Long term Capital गेन टैक्स को सभी कैटेगरी के एसेट्स के लिए 12.50 फीसदी कर दिया गया है, जो पहले इक्विटी शेयर्स और इक्विटी म्यूचुअल फंड के मामले में 10 फीसदी था। वहीं, प्रॉपर्टी के मामले में 20 फीसदी के इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी Long term Capital गेन टैक्स लगता था। नए प्रस्ताव के अनुसार, 1.25 लाख रुपये तक के Long term Capital गेन पर छूट मिलेगी।

Short and Long term Capital: बॉन्ड और डिबेंचर के मामले में पहले Long term Capital गेन टैक्स 20 फीसदी की दर से लगाया जाता था। अब लिस्टेड बॉन्ड और डिबेंचर के लिए इसे घटाकर 12.50 फीसदी कर दिया गया है। साथ ही, Long term Capital गेन की कैलकुलेशन के लिए इंडेक्सेशन का लाभ खत्म कर दिया गया है।

Short and Long term Capital: इन नए टैक्स नियमों का उद्देश्य टैक्स स्ट्रक्चर को तर्कसंगत बनाना और इसे सभी निवेशकों के लिए समान रूप से लागू करना है। Short term Capital गेन टैक्स में वृद्धि से सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा, जिससे देश के विकास में योगदान मिलेगा।

Long term Capital गेन टैक्स में बदलाव से विभिन्न एसेट क्लासेज के बीच समानता आएगी और निवेशकों को भी अपनी निवेश योजनाओं को पुनः विचार करने की आवश्यकता होगी। यह देखा जाना बाकी है कि ये नए नियम बाजार पर किस प्रकार का प्रभाव डालते हैं और निवेशक इनसे कैसे निपटते हैं।

सभी बदलावों का मुख्य उद्देश्य यह है कि टैक्स सिस्टम को सरल और पारदर्शी बनाया जाए, जिससे अधिक से अधिक लोग टैक्स कानूनों का पालन करें और देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने में योगदान दें।

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