MPC Meeting: पिछले साल फरवरी से स्थिर हैं रेपो रेट, रिजर्व बैंक ने 6.5% पर बनाए रखा दर|
MPC Meeting: रिजर्व बैंक ने आखिरी बार पिछले साल फरवरी में रेपो रेट में बदलाव किया था, जब इसे बढ़ाकर 6.5% किया गया था। तब से डेढ़ साल से ब्याज दरें वहीं स्थिर हैं। कर्ज सस्ता होने और EMI का बोझ कम होने की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ा है। रिजर्व बैंक ने अपनी रिकॉर्ड 9वीं बैठक में भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।
MPC Meeting: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बताया कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित रखना और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना है। हालांकि, इससे उन लोगों को निराशा हुई है जो सस्ते कर्ज और कम EMI की उम्मीद कर रहे थे।
कर्जदारों को अब भी सस्ते कर्ज और EMI में राहत के लिए इंतजार करना होगा, क्योंकि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में रेपो रेट को स्थिर रखना ही रिजर्व बैंक की प्राथमिकता है।
बैठक के बाद RBI गवर्नर ने दिया अपडेट
MPC Meeting: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के लिए महंगाई सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। यही कारण है कि मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है। ब्याज दरों को कम करने के लिए रिजर्व बैंक फिलहाल और इंतजार करने के पक्ष में है। RBI की अगस्त MPC बैठक 6 अगस्त को शुरू हुई थी और आज संपन्न हुई।
MPC Meeting: बैठक के बाद RBI गवर्नर ने लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि MPC के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने के पक्ष में वोट दिया। RBI का यह कदम महंगाई को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे आर्थिक स्थिरता बनी रहे।
हालांकि, कर्ज सस्ता होने और EMI का बोझ कम होने की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को अभी और इंतजार करना होगा। MPC की अगली बैठक अक्टूबर महीने में होगी, जहां मौद्रिक नीति पर आगे के कदमों पर चर्चा की जाएगी। तब तक, रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने से महंगाई नियंत्रण में रहने की उम्मीद है।
आखिरी बार 18 महीने पहले हुआ बदलाव
MPC Meeting: RBI के इस फैसले से उन लोगों को निराशा होगी, जो लंबे समय से कर्ज सस्ता होने और EMI के बोझ में राहत की उम्मीद कर रहे थे। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में आखिरी बार फरवरी 2023 में बदलाव किया था, जब इसे बढ़ाकर 6.5% कर दिया गया था। तब से डेढ़ साल से नीतिगत ब्याज दर में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
MPC Meeting: फरवरी 2023 की MPC बैठक में लिया गया यह फैसला महंगाई को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से था। मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में भी केंद्रीय बैंक महंगाई को प्राथमिक चिंता मानते हुए रेपो रेट में बदलाव करने से बच रहा है। RBI का यह कदम आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक समझा जा रहा है।
MPC Meeting: जो लोग सस्ते कर्ज और कम EMI की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें अब भी इंतजार करना होगा। रेपो रेट स्थिर रखने के निर्णय से साफ है कि RBI अभी ब्याज दरों में कमी लाने के पक्ष में नहीं है। महंगाई और आर्थिक स्थिरता को देखते हुए, मौद्रिक नीति समिति का यह फैसला समझदारीपूर्ण है, लेकिन इससे आम जनता को तत्काल राहत मिलना मुश्किल है।
पूर्ण बजट पेश होने के बाद पहली बैठक
MPC Meeting: यह रिजर्व बैंक की वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश होने के बाद पहली बैठक थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने 23 जुलाई को पूर्ण बजट पेश किया था। चालू वित्त वर्ष में यह रिजर्व बैंक की शक्तिशाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीसरी बैठक थी। 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ही नीतिगत ब्याज दर, यानी रेपो रेट, पर फैसला लेती है।
MPC Meeting: इस बार की बैठक में भी MPC ने रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया। यह लगातार 9वीं बैठक थी जिसमें रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखने का फैसला किया गया। RBI के इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखना है। हालांकि, इस फैसले से उन लोगों को निराशा होगी जो कर्ज सस्ता होने और EMI के बोझ में राहत की उम्मीद कर रहे थे।
रेपो रेट को स्थिर रखने का यह निर्णय RBI की मौद्रिक नीति के तहत लिया गया है, जिससे आर्थिक स्थिरता और महंगाई नियंत्रण में रह सके। इस फैसले से स्पष्ट है कि RBI अभी ब्याज दरों में कमी लाने के पक्ष में नहीं है, जिससे आम जनता को तत्काल राहत मिलना संभव नहीं हो पाएगा।
रेपो रेट से ऐसे जुड़ी है आपकी EMI
MPC Meeting: रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI से बैंकों को पैसे मिलते हैं। इसका सीधा संबंध बैंकों के लिए फंड की लागत से होता है। जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंकों के लिए फंड की लागत कम हो जाती है, जिससे उनके लिए पैसे सस्ते हो जाते हैं। वहीं, रेपो रेट बढ़ने पर फंड महंगा हो जाता है। बैंकों द्वारा आम लोगों को दिए जाने वाले कर्ज जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, और व्हीकल लोन की ब्याज दरें रेपो रेट के हिसाब से तय होती हैं।
MPC Meeting: रेपो रेट कम होने से ये सभी लोन सस्ते हो जाते हैं, जिससे लोन लेने वालों को फायदा होता है। खासकर होम लोन के मामले में, जहां फ्लोटिंग इंटेरेस्ट रेट लागू होता है, रेपो रेट में कमी का असर पुराने लोन पर भी पड़ता है, जिससे EMI का बोझ कम हो जाता है।
हालांकि, मौजूदा स्थिति में रेपो रेट स्थिर रहने के कारण लोगों को सस्ते कर्ज और कम EMI के लिए अभी और इंतजार करना होगा। RBI के इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित रखना है, जिससे आर्थिक स्थिरता बनी रहे। इसलिए, कर्जदारों को फिलहाल राहत के लिए थोड़ी और प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।
खुदरा महंगाई फिर से 5 फीसदी के पार
MPC Meeting: रिजर्व बैंक देश में खुदरा महंगाई की दर को 4% से नीचे लाना चाहता है। मई महीने में खुदरा महंगाई की दर घटकर 5% से नीचे आ गई थी और 4.75% के साथ यह साल भर में सबसे कम हो गई थी। हालांकि, खाने-पीने की चीजों, खासकर सब्जियों और दालों की कीमतों में तेजी के कारण जून में महंगाई दर फिर से बढ़कर 5% के पार निकल गई और 4 महीने के उच्च स्तर 5.08% पर पहुंच गई।
MPC Meeting: RBI का मुख्य लक्ष्य महंगाई को नियंत्रित करना और इसे 4% के आसपास बनाए रखना है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल के कारण, यह लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। जुलाई महीने के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़े अगले सप्ताह जारी होने वाले हैं, जिनसे यह पता चलेगा कि महंगाई पर नियंत्रण के प्रयास कितने सफल रहे हैं।
MPC Meeting: खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी का सीधा असर आम लोगों की जीवनशैली पर पड़ता है, क्योंकि यह उनकी दैनिक जरूरतों की चीजों की कीमतों को प्रभावित करता है। इसलिए, RBI महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए विभिन्न नीतिगत कदम उठा रहा है ताकि अर्थव्यवस्था स्थिर रह सके और लोगों को राहत मिल सके।
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