Monsoon Budget 2024: सोशल मीडिया पर मंगलवार से पोस्ट और वीडियो की भरमार, हमने कुछ प्रमुख विचार साझा किए |
Monsoon Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत सातवें बजट के प्रति मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। बजट में किए गए कई ऐलान ने लोगों को प्रभावित किया है, और कुछ वर्ग इन बदलावों की सराहना कर रहे हैं। हालांकि, बजट के प्रति एक बड़ा वर्ग असंतोष व्यक्त कर रहा है। उनका तर्क है कि मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स के साथ-साथ अन्य प्रकार के टैक्स भी चुकाने पड़ रहे हैं, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर लोग बजट के खिलाफ अपनी नाराजगी प्रकट कर रहे हैं और इस पर विभिन्न तरह की प्रतिक्रियाएँ दे रहे हैं।
उनके अनुसार, बजट में मध्यवर्ग के आर्थिक बोझ को ध्यान में नहीं रखा गया है, और इससे उनके दैनिक जीवन में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही हैं। इस तरह की प्रतिक्रियाओं ने बजट पर बहस को और भी उकसाया है और इसके प्रभावों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता को उजागर किया है।
बुनियादी जरूरतों के लिए भी देना पड़ रहा टैक्स
Monsoon Budget 2024: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि शिक्षा, चिकित्सा, बिजली, साफ पानी, और साफ हवा के लिए भी हमें टैक्स क्यों भरना पड़ता है। एक यूजर ने वीडियो पोस्ट कर बताया कि नौकरीपेशा व्यक्ति की आर्थिक स्थिति पर इसका गहरा असर पड़ रहा है। उसका कहना है कि आयकर चुकाने के बाद, बाजार में कोई भी सामान खरीदते समय उसे जीएसटी देना पड़ता है। इसके बाद, बची हुई राशि का निवेश करने पर सरकार उस पर भी शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाती है।
Monsoon Budget 2024: इसके अलावा, अब मेहनत से खरीदी गई प्रॉपर्टी बेचने पर इंडेक्सेशन बेनिफिट भी नहीं मिल रहा है। लोगों का यह भी सवाल है कि वेतनभोगी वर्ग पर इतनी तरह के टैक्स क्यों लगाए जा रहे हैं। ऐसे में लोगों की चिंता बढ़ रही है कि क्या आम आदमी के लिए टैक्स व्यवस्था आसान और सुलभ नहीं हो सकती है? सवाल यह भी उठता है कि क्या यह टैक्स सिस्टम लोगों के आर्थिक संतुलन को बिगाड़ रहा है?
पढ़ाई और इलाज पर भी टैक्स भर रहा मिडिल क्लास
Monsoon Budget 2024: एक अन्य यूजर ने लिखा कि देश में करोड़ों बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। सरकारी स्कूलों की कमी है और टैक्स के पैसे से बने सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर भी दयनीय है। मजबूरी में हमें बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजना पड़ता है, जहां महंगी फीस चुकानी पड़ती है। इसके अलावा, अगर इलाज करवाना हो तो अच्छे सरकारी अस्पतालों की कमी है। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज न सिर्फ महंगा होता है, बल्कि इस पर भी टैक्स देना पड़ता है।
Monsoon Budget 2024: यूजर ने सवाल उठाया कि जब हम इतनी बड़ी राशि टैक्स के रूप में चुकाते हैं, तो हमें बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं मिल पातीं? लोगों की चिंता यह भी है कि उनके टैक्स के पैसे का सही उपयोग नहीं हो रहा है और इसका सीधा असर उनकी जीवन शैली और बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल आम नागरिकों के लिए बल्कि पूरे समाज के विकास के लिए भी एक बड़ी बाधा है।
साफ हवा, पानी और बिजली भी नहीं दे पा रही सरकार
Monsoon Budget 2024: एक पोस्ट में दावा किया गया है कि सरकार बिजली और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं देने में असफल रही है। देश में 24 घंटे बिजली न आने की वजह से लोगों को इनवर्टर और सोलर पैनल लगवाने पड़ रहे हैं, और इन सभी को खरीदने पर भी हमसे ही टैक्स वसूला जाता है। आज भी देश में हर जगह पीने के साफ पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई है, जिसके कारण घरों में आरओ (रिवर्स ऑस्मोसिस) सिस्टम लगवाने पड़ते हैं। प्रदूषण के चलते कई शहरों की हवा बुरी तरह से प्रभावित हुई है, जिससे लोगों को एयर प्यूरीफायर लगवाने पड़ रहे हैं।
Monsoon Budget 2024: सरकार इन सभी उपकरणों को लग्जरी आइटम मानती है और इन पर भी टैक्स वसूलती है। यह स्थिति आम जनता के लिए बहुत ही मुश्किलें पैदा कर रही है क्योंकि वे पहले से ही भारी टैक्स का बोझ उठा रहे हैं। लोगों की मांग है कि सरकार बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दे और ऐसी वस्तुओं पर टैक्स कम करे, जिन्हें मजबूरी में खरीदना पड़ता है। यह कदम न केवल आर्थिक बोझ को कम करेगा बल्कि लोगों की जीवन गुणवत्ता को भी सुधारने में मदद करेगा।
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