Capital Gain: 2018 से लागू लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स से शेयरों और निवेश पर सरकार की बड़ी कमाई |
शेयरों और उससे जुड़े निवेश से होने वाली कमाई पर लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स की शुरुआत 2018 में हुई थी। इस टैक्स के लागू होने के बाद से सरकार को पर्याप्त राजस्व प्राप्त हो रहा है। पहले ही, शेयरों पर Capital Gain टैक्स से सालाना कमाई लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।
अब, सरकार ने आगामी बजट में इस टैक्स को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। इस प्रस्तावित वृद्धि से सरकारी खजाने में और भी इजाफा होने की उम्मीद है। इस कदम का उद्देश्य न केवल टैक्स संग्रह में वृद्धि करना है बल्कि निवेशकों के बीच वित्तीय अनुशासन को भी प्रोत्साहित करना है।
Capital Gain टैक्स का यह बढ़ावा सरकारी वित्तीय प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, विशेषकर ऐसे समय में जब राजकोषीय घाटा और अन्य वित्तीय चुनौतियाँ लगातार सामने आ रही हैं। इससे सरकार को आवश्यक संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी, जो कि विकास और सामाजिक कल्याण परियोजनाओं के लिए आवश्यक हैं।
सरकार ने बताया कितनी हुई कमाई
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में Capital Gain टैक्स से सरकार को होने वाली कमाई के आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में लिस्टेड इक्विटीज पर लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स से सरकार को 98,681 करोड़ रुपये की आय हुई। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत अधिक है, जब लिस्टेड इक्विटीज पर लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स से कमाई कम थी।
इस वृद्धि को देखते हुए स्पष्ट है कि Capital Gain टैक्स ने सरकारी खजाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह वृद्धि दर्शाती है कि बाजार में निवेशकों की सक्रियता बढ़ी है और टैक्स के प्रभावी प्रबंधन ने राजस्व में इजाफा किया है।
इस प्रकार के आंकड़े सरकार के वित्तीय प्रबंधन की स्थिति को मजबूत करने में मदद करते हैं और वित्तीय नीति के प्रभावशीलता को भी रेखांकित करते हैं। आने वाले समय में, इस प्रकार की राजस्व वृद्धि से आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए सरकार को बेहतर संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।
2018 से लग रहा है लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स
भारत में शेयरों और शेयर ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स अप्रैल 2018 से लागू है। पहले इस टैक्स की दर 10 प्रतिशत थी, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में पेश किए बजट में इसे बढ़ाकर 12.50 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।
वर्तमान में, सालाना 1 लाख रुपये तक के Capital Gain पर टैक्स नहीं लगता है। इसका मतलब है कि यदि किसी साल के दौरान 1 लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटल गेन होता है, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी बनती है।
इस बजट में एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव है कि Capital Gain पर मिलने वाली छूट की लिमिट को बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये करने की योजना है। इसका उद्देश्य निवेशकों को थोड़ी अधिक राहत प्रदान करना है और टैक्स की दायित्व सीमा को बढ़ाकर उन्हें अधिक वित्तीय छूट देना है।
यह बदलाव निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है और वित्तीय योजनाओं में सुधार की दिशा में एक कदम हो सकता है। इसके माध्यम से सरकार टैक्स के क्षेत्र में पारदर्शिता और न्याय की दिशा में काम कर रही है।
होल्डिंग पीरियड को लेकर हुआ ये बदलाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में पूंजीगत लाभ कर (कैपिटल गेन टैक्स) से संबंधित कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव रखा है। इसमें सूचिबद्ध शेयरों (लिस्टेड इक्विटीज) पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स) की दरें बढ़ाने के साथ-साथ टैक्स से छूट प्राप्त होने वाली वार्षिक आय की सीमा को भी बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा, पूंजीगत लाभ कर की देनदारी के लिए होल्डिंग अवधि को भी संशोधित किया गया है।
पहले जहां लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स की देनदारी के लिए होल्डिंग पीरियड 12 महीने था, उसे अब बढ़ाकर 24 महीने कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, निवेशकों को मिलने वाले इंडेक्सेशन लाभ को भी समाप्त करने का प्रस्ताव है। इन बदलावों का उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक स्थिर और न्यायसंगत बनाना है। ऐसे कदमों से न केवल सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त होगा, बल्कि निवेशकों को भी अपनी निवेश रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। कुल मिलाकर, ये बदलाव भारतीय वित्तीय बाजार में महत्वपूर्ण असर डाल सकते हैं।
बदलावों से बढ़ने वाली है सरकार की कमाई
विशेषज्ञों का मानना है कि लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स में किए गए परिवर्तनों से सरकार की राजस्व प्राप्ति में वृद्धि होगी। इंडेक्सेशन लाभ को समाप्त करने से निवेशकों को महंगाई से मिलने वाली सुरक्षा में कमी आएगी, जिससे उनकी टैक्स देनदारी बढ़ जाएगी। इसके परिणामस्वरूप, निवेश पर प्राप्त होने वाले लाभ पर अधिक टैक्स लगेगा। इसके अतिरिक्त, लॉन्ग टर्म Capital Gain टैक्स की दरों में वृद्धि से भी निवेशकों पर वित्तीय भार बढ़ेगा। हालांकि, होल्डिंग पीरियड को 12 महीने से बढ़ाकर 24 महीने करने और टैक्स छूट की वार्षिक सीमा में वृद्धि से कुछ निवेशकों को लाभ हो सकता है।
इस प्रकार, ये परिवर्तन कुछ निवेशकों के लिए फायदे और चुनौतियों दोनों का मिश्रण लाते हैं। सरकारी दृष्टिकोण से, इन सुधारों से वित्तीय संसाधनों में बढ़ोतरी होगी और कर प्रणाली में स्थिरता आएगी। निवेशकों को अब अपनी निवेश रणनीतियों को पुनः मूल्यांकन करना होगा और संभावित कर भार को ध्यान में रखते हुए भविष्य की योजनाएं बनानी होंगी। इन परिवर्तनों का भारतीय वित्तीय बाजार पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे निवेश के वातावरण में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।
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