Atishi Akash Dispute: आकाश आनंद ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के फैसले को संविधान का उल्लंघन बताया, बोले- ‘खड़ाऊं शासन संविधान का अपमान’ |
Atishi Akash Dispute: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को औपचारिक रूप से पदभार संभाल लिया। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने अपने कार्यालय में एक अतिरिक्त कुर्सी रखी, जिसे उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कुर्सी बताया। आतिशी ने कहा कि यह कुर्सी प्रतीकात्मक रूप से केजरीवाल के लिए खाली रहेगी और उनके लौटने का इंतजार करेगी। इस कदम के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई, खासकर बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई।
Atishi Akash Dispute: आकाश आनंद ने इस प्रतीकात्मक कदम को भारतीय संविधान का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आतिशी का यह कृत्य संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के सिद्धांतों का अपमान है। उन्होंने कहा कि आतिशी के कार्यालय में डॉ. अंबेडकर की तस्वीर लगी है, लेकिन उन्होंने अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में उनके प्रतीकात्मक शासन को स्वीकार किया, जो संविधान की भावना के खिलाफ है। आकाश आनंद ने इसे लोकतंत्र के लिए हानिकारक और जनता के साथ धोखा बताया। उनका मानना है कि यह कदम अरविंद केजरीवाल को संविधान से भी ऊपर रखने जैसा है, जो अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में किसी व्यक्ति या प्रतीक के आधार पर शासन का कोई स्थान नहीं है, और यह संविधान का सीधा उल्लंघन है। आकाश आनंद ने जनता से भी इस मुद्दे पर जागरूक होने का आग्रह किया और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरा बताया। उनकी यह प्रतिक्रिया राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है।
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Atishi Akash Dispute: आकाश आनंद ने साध निशाना
Atishi Akash Dispute: बसपा नेता आकाश आनंद ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी सिंह की एक प्रतीकात्मक कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि “बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की तस्वीर के साथ अरविंद केजरीवाल का खड़ाऊ रखकर शासन करने का संकेत देना गुमराह करने वाला है। आतिशी सिंह का यह कदम अयोध्या के पुराने खड़ाऊ शासन की ओर इशारा करता है, जो संविधान की भावना के खिलाफ है।”
Atishi Akash Dispute: आकाश आनंद ने आरोप लगाया कि आतिशी की आस्था भारत के संविधान की बजाय अरविंद केजरीवाल के प्रति अधिक दिख रही है, जो उनके पद की गोपनीयता और संवैधानिक दायित्वों को प्रभावित करता है। उन्होंने इस कार्रवाई को संविधान की शपथ का उल्लंघन बताते हुए कहा कि इससे जनता का भरोसा टूटता है और यह दिल्लीवासियों के साथ धोखा है।आनंद के अनुसार, एक निर्वाचित नेता का संविधान और उसकी शपथ के प्रति निष्ठावान रहना अनिवार्य है, और आतिशी का यह कदम उस निष्ठा पर सवाल खड़ा करता है।
बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की तस्वीर लगाकर अरविंद केजरीवाल का खड़ाऊ रख कर अयोध्या के शासन का सपना देख रही श्रीमती आतिशी सिंह की यह तस्वीर गुमराह करने वाली, तथा उनके शब्द संविधान की शपथ का उल्लंघन है।
क्योंकि उनकी आस्था श्री अरविंद केजरीवाल जी के प्रति ज़्यादा दिख रही है… https://t.co/NZ4qvlE8Zg
— Akash Anand (@AnandAkash_BSP) September 23, 2024
Atishi Akash Dispute: आतिशी खड़ाऊं रखकर बनीं सीएम
Atishi Akash Dispute: आतिशी ने सोमवार को सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल ली। इस दौरान उन्होंने अपने कार्यालय में एक कुर्सी को खाली रखा और इसे अरविंद केजरीवाल की प्रतीकात्मक कुर्सी बताया। उन्होंने कहा कि यह कुर्सी तब तक खाली रहेगी, जब तक केजरीवाल वापस नहीं आते। आतिशी ने इसे रामायण की घटना से जोड़ते हुए कहा कि जैसे राम के वनवास के बाद उनके भाई भरत ने राम की खड़ाऊँ रखकर अयोध्या का शासन संभाला था, वैसे ही वह दिल्ली का प्रशासन अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में चलाएंगी।
Atishi Akash Dispute: गौरतलब है कि अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में जेल से बाहर आने के बाद 17 तारीख को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद आम आदमी पार्टी ने आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री घोषित किया। जब आतिशी के नाम की घोषणा की गई थी, तभी उन्होंने स्पष्ट किया था कि वे आगामी चुनाव तक ही इस पद पर रहेंगी। चुनाव के बाद, अगर आम आदमी पार्टी फिर से सत्ता में आती है, तो अरविंद केजरीवाल ही मुख्यमंत्री पद संभालेंगे।
आतिशी के इस प्रतीकात्मक कदम ने राजनीतिक हलकों में चर्चा छेड़ दी है। उनकी तुलना भरत द्वारा राम के लिए खड़ाऊँ रखकर शासन चलाने से किए जाने पर कई लोग इसे उनकी निष्ठा और सम्मान का प्रतीक मानते हैं, जबकि कुछ इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संविधान के खिलाफ समझते हैं।
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