- Supreme Court intervention: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों से बिना वेतन काम लेने की उम्मीद को अस्वीकार किया, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार तक का समय मांगा|
- Supreme Court intervention: ‘वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती’
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- Supreme Court intervention: ‘क्यों नहीं मिल रहा वेतन? यह क्या है?’
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Supreme Court intervention: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों से बिना वेतन काम लेने की उम्मीद को अस्वीकार किया, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार तक का समय मांगा|
Supreme Court intervention: पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश रुद्र प्रकाश मिश्रा को पिछले 10 महीनों से वेतन नहीं मिला है। यह गंभीर स्थिति उन्हें उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर कर दी। न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने हस्तक्षेप किया।
Supreme Court intervention: सोमवार, 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि वह न्यायाधीश रुद्र प्रकाश मिश्रा के लिए एक अस्थायी सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाता खोले। इसके साथ ही, कोर्ट ने सरकार से कहा कि वे न्यायाधीश की लंबित तनख्वाह को शीघ्र जारी करें। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की गरिमा और न्यायाधीशों के अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी गंभीरता व्यक्त की है।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि न्यायाधीशों के अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती और वेतन की अदायगी में देरी से न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता प्रभावित होती है। उच्चतम न्यायालय के निर्देश से उम्मीद है कि बिहार सरकार जल्द ही उचित कदम उठाएगी।
Supreme Court intervention: ‘वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती’
Supreme Court intervention: प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने हाल ही में न्यायाधीशों के वेतन को लेकर गंभीर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट किया कि “किसी भी न्यायाधीश से वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।” यह बयान न्यायमूर्ति रुद्र प्रकाश मिश्रा के संदर्भ में आया, जिन्हें चार नवंबर 2023 को जिला न्यायपालिका से पटना उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था।
Supreme Court intervention: हालांकि, न्यायाधीश को उनकी पदोन्नति की तारीख से वेतन नहीं मिल रहा है। इसका कारण यह है कि उनके पास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर वेतन लेने के लिए आवश्यक सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाता नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह न्यायाधीश के लिए जीपीएफ खाता खोले और उनकी लंबित तनख्वाह को जल्द जारी करे। इस घटना ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और न्यायाधीशों के अधिकारों की रक्षा के महत्व को फिर से उजागर किया है, जो एक सशक्त और प्रभावी न्याय प्रणाली के लिए आवश्यक हैं।
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Supreme Court intervention: ‘क्यों नहीं मिल रहा वेतन? यह क्या है?’
Supreme Court intervention: अधीनस्थ अदालतों के न्यायाधीश नई पेंशन योजना (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं, जिसके कारण उनके पास सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खाते नहीं होते हैं। यह स्थिति न्यायमूर्ति रुद्र प्रकाश मिश्रा के लिए समस्या बन गई है, क्योंकि उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति के बावजूद उनका वेतन नहीं मिल पा रहा है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए जीपीएफ खाता होना आवश्यक है, लेकिन न्यायमूर्ति मिश्रा एनपीएस के अंतर्गत आते हैं, जिससे उन्हें यह खाता नहीं मिला।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “उन्हें वेतन क्यों नहीं मिल रहा है? यह क्या है? हम उनकी तनख्वाह जारी करने के लिए अंतरिम आदेश पारित करेंगे।” इस प्रकार की गंभीर टिप्पणी ने यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका की कार्यक्षमता और न्यायाधीशों के अधिकारों की रक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Supreme Court intervention: पीठ ने बिहार सरकार को निर्देश दिया कि न्यायमूर्ति मिश्रा के लिए एक अस्थायी जीपीएफ खाता खोला जाए ताकि वेतन की अदायगी में कोई और देरी न हो। इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में पेश होकर शुक्रवार तक का समय मांगा और आश्वासन दिया कि तब तक यह मुद्दा सुलझा लिया जाएगा। इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और न्यायाधीशों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसे मुद्दों से बचा जा सके।
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