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Reaction on Bihar: क्या केंद्र सरकार बिहार में बढ़े हुए आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करेगी? BJP का बयान|

Reaction on Bihar: बीजेपी मंत्री जनक राम का आरोप; तेजस्वी यादव आरक्षण मुद्दे पर जनता को भटका रहे हैं और राजनीति कर रहे हैं|

Reaction on Bihar: क्या केंद्र सरकार बिहार में बढ़े हुए आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करेगी

Reaction on Bihar: बिहार में बढ़े हुए आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग लगातार पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कर रहे हैं। 2 अगस्त को आयोजित प्रेस वार्ता में तेजस्वी यादव ने इस मांग को फिर से दोहराया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी कोटे के मंत्री जनक राम ने एक बड़ा बयान दिया है। जनक राम से जब पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करेगी, तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के गरीबों के हित में जो भी आवश्यक निर्णय होगा, वह अवश्य लेंगे।

Reaction on Bihar: उन्होंने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव जनता को गुमराह कर रहे हैं और अपनी सियासी रोटी सेंक रहे हैं। जनक राम का मानना है कि आरक्षण पर तेजस्वी यादव का यह रवैया केवल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए है। बिहार में आरक्षण को लेकर यह विवाद गहराता जा रहा है और इसका असर राज्य की राजनीति पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। बीजेपी के मंत्री जनक राम ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार बिहार के गरीबों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

Reaction on Bihar: ‘तेजस्वी यादव को जनता से मतलब नहीं

Reaction on Bihar: बीजेपी के मंत्री जनक राम ने तेजस्वी यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं, कहते हुए कि बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग से तेजस्वी जनता को गुमराह कर रहे हैं। जनक राम का कहना है कि तेजस्वी यादव केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इस मुद्दे का उपयोग कर रहे हैं और आरक्षण पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि तेजस्वी यादव सड़क पर उतरकर आंदोलन करने और 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कर रहे हैं, लेकिन वे बताएं कि अब तक कितने मुद्दों पर उन्होंने वास्तव में सड़क पर आंदोलन किया है।

Reaction on Bihar: जनक राम ने यह भी बताया कि विधानसभा के मॉनसून सत्र में तेजस्वी यादव एक दिन भी सदन में नहीं आए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्हें जनता के मुद्दों से कोई वास्तविक मतलब नहीं है। जनक राम का आरोप है कि तेजस्वी यादव केवल राजनीतिक लाभ के लिए यह सब कर रहे हैं और वास्तव में बिहार के गरीबों के हितों की उन्हें कोई चिंता नहीं है। बीजेपी का यह बयान राज्य की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है।

Reaction on Bihar: न्यूज़ से बातचीत में जनक राम ने कहा कि बिहार में जातीय गणना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कराई थी और महागठबंधन सरकार में बीजेपी की भी सहमति थी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बिहार में 15 साल आरजेडी की सरकार थी और दस साल यूपीए की सरकार थी, तो उस समय जातीय गणना क्यों नहीं की गई? जनक राम ने पूछा कि क्यों लालू यादव ने उस समय संविधान की नौवीं अनुसूची में इसे शामिल नहीं कराया?

Reaction on Bihar: उन्होंने आरोप लगाया कि आरजेडी के सत्ता में रहते हुए केवल लालू परिवार को ही आरक्षण मिला। जनक राम ने यह सवाल भी उठाया कि आरजेडी की सरकार ने कितने अनुसूचित जाति, जनजाति, और ओबीसी को आरक्षण दिया? जनक राम ने तेजस्वी यादव से इन मुद्दों पर जवाब देने की मांग की।

Reaction on Bihar: जनक राम का यह बयान राज्य की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है, जिसमें जातीय गणना और आरक्षण के मुद्दे पर आरजेडी और बीजेपी के बीच तनाव बढ़ सकता है। यह बयान बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, खासकर जब राज्य में चुनावी सरगर्मियां तेज हो रही हैं।

Reaction on Bihar: बिहार में महागठबंधन सरकार के दौरान जातीय गणना राज्य सरकार ने खुद कराई थी, जिसके बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 50 से 65 प्रतिशत कर दिया गया। हालांकि, पटना हाईकोर्ट ने 65 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी। इस फैसले के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची, लेकिन वहां भी सरकार को निराशा ही हाथ लगी।

Reaction on Bihar: पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार इस मांग को उठा रहे हैं कि केंद्र सरकार 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करे। उनका मानना है कि इससे बिहार के वंचित और पिछड़े वर्गों को अधिक प्रतिनिधित्व और अधिकार मिल सकेंगे। तेजस्वी का तर्क है कि 9वीं अनुसूची में शामिल होने से आरक्षण पर कानूनी रोक नहीं लगाई जा सकेगी, जिससे यह व्यवस्था अधिक स्थायी हो जाएगी।

इस बीच, बीजेपी और जदयू के नेताओं का कहना है कि बिहार के गरीबों और पिछड़े वर्गों के हित में जो भी निर्णय जरूरी होगा, वह लिया जाएगा। इस मुद्दे पर राजनीतिक माहौल गरमा गया है, और आरक्षण का यह विवाद राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है, जिसमें विभिन्न दलों के नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी देखी जा रही है।

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