Kishor Singh comparison: प्रशांत किशोर की रणनीति से मेल खाता RCP सिंह का एजेंडा? नीतीश कुमार के लिए बढ़ती चुनौती!

Kishor Singh comparison: पार्टी की घोषणा के साथ ही आरसीपी सिंह का बड़ा बयान, कहा- शराबबंदी पर रोक संभव नहीं |

Kishor Singh comparison: प्रशांत किशोर की रणनीति से मेल खाता RCP सिंह का एजेंडा? नीतीश कुमार के लिए बढ़ती चुनौती!
Kishor Singh comparison: प्रशांत किशोर की रणनीति से मेल खाता RCP सिंह का एजेंडा? नीतीश कुमार के लिए बढ़ती चुनौती!

Kishor Singh comparison: 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन राजनीतिक तैयारियाँ तेजी से शुरू हो चुकी हैं। नई पार्टियों का उभरना इस चुनाव को दिलचस्प बना रहा है। हाल ही में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और अब आरसीपी सिंह की आसा पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। इन दोनों नए दलों के उभरने से चुनावी मुकाबला और कड़ा हो गया है। दूसरी ओर, एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच पहले से ही मुख्य टकराव देखने को मिलेगा।

Kishor Singh comparison: आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीतियाँ सीएम नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं। इन दोनों नेताओं के एजेंडे में कई समानताएँ हैं, जो बिहार की राजनीति में नए बदलाव ला सकते हैं। दोनों का ध्यान सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित है, जिससे जनता के बीच उनकी पकड़ मजबूत हो सकती है। ऐसे में बिहार का अगला चुनाव कई नई संभावनाओं और राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे सकता है।

Kishor Singh comparison: प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी की स्थापना से पहले ही स्पष्ट किया था कि 2025 में उनकी सरकार बनने पर पहला कदम बिहार में शराबबंदी कानून को समाप्त करना होगा। अब इसी मुद्दे पर आरसीपी सिंह ने भी अपनी पार्टी ‘आसा’ की घोषणा के साथ ही शराबबंदी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने सीधे तौर पर कानून हटाने की बात तो नहीं की, लेकिन इसके प्रति विरोध जताते हुए इसे सुधारने की आवश्यकता बताई।

Kishor Singh comparison: गुरुवार, 31 अक्टूबर को पार्टी की घोषणा के दौरान आरसीपी सिंह ने कहा कि किसी के खान-पान पर रोक लगाना उचित नहीं है। उनका कहना था कि शराबबंदी से राज्य सरकार को राजस्व में भारी घाटा हो रहा है, और इस नुकसान से उबरने के लिए शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार जरूरी है। आरसीपी सिंह ने सुझाव दिया कि शराब के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष जन-जागरण अभियान चलाया जाएगा। उनका मानना है कि यह कानून सुधार के बिना राज्य के विकास में बाधक बन रहा है।

Kishor Singh comparison: 2025 के चुनाव में शराबबंदी होगा मुद्दा?

Kishor Singh comparison: आरसीपी सिंह के शराबबंदी पर दिए गए बयान से यह संकेत मिल रहा है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में शराबबंदी कानून एक अहम मुद्दा बन सकता है। सवाल उठता है कि क्या इस मुद्दे को लेकर प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीतिक चुनौती देने में सफल होंगे?

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बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार के अनुसार, शराबबंदी का मुद्दा उठाकर प्रशांत किशोर और अब आरसीपी सिंह ने इसे चुनावी बहस का विषय तो बना दिया है, लेकिन इससे नीतीश कुमार पर विशेष प्रभाव पड़ने की संभावना कम है। उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार ने 2016 में जब शराबबंदी कानून लागू किया था, उसके बाद भी उनके समर्थन में कमी देखने को नहीं मिली। 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार का जनाधार स्थिर बना रहा। उनका मतदाता वर्ग, जो करीब 13-14% है, इस कानून से प्रभावित नहीं हुआ है।

Kishor Singh comparison: संतोष कुमार का मानना है कि शराबबंदी पर आलोचना और इसके खिलाफ जनजागरण अभियान चलाना निश्चित रूप से चर्चा का विषय बनेगा। हालांकि, नीतीश कुमार के समर्थकों की एक मजबूत आधारशिला है जो उनके निर्णयों का समर्थन करती है। प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह जैसे नए खिलाड़ियों के लिए यह एक चुनौती होगी कि वे जनता के बीच अपनी पैठ बनाएं और इस मुद्दे को अपनी रणनीति में बदलें।

अंततः, 2025 के चुनाव में शराबबंदी का मुद्दा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, पर यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्या यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक पकड़ को कमजोर कर पाएगा।

Kishor Singh comparison: ‘वोट बैंक को डैमेज कर सकते हैं आरसीपी सिंह’

Kishor Singh comparison: संतोष कुमार का मानना है कि बिहार में महिलाओं के नजरिए से शराबबंदी कानून एक सकारात्मक पहल मानी जाती है। हालांकि, राज्य में अवैध तरीके से शराब की बिक्री जारी है, लेकिन कानून के प्रति लोगों में एक भय का माहौल भी है। यही कारण है कि शराबबंदी का मुद्दा चुनाव पर खास असर नहीं डालेगा।

Kishor Singh comparison: आरसीपी सिंह का चुनाव में उतरना, हालांकि, जेडीयू के लिए चुनौती बन सकता है। जेडीयू संगठन में लंबे समय तक प्रभावी भूमिका निभा चुके आरसीपी सिंह की सभी जिलों में पहचान है, और यह उन्हें एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनाता है। उन्होंने हाल ही में 140 सीटों पर उम्मीदवार तैयार होने का दावा किया, जिससे उनके पास नीतीश कुमार के मतदाताओं को प्रभावित करने का अवसर है।

संतोष कुमार के अनुसार, आरसीपी सिंह का चुनावी मैदान में उतरना जेडीयू के वोट बैंक में कुछ हद तक सेंध लगा सकता है। फिर भी, यह देखना होगा कि वह इस प्रभाव को कितना विस्तार दे पाते हैं और क्या यह असर नीतीश कुमार की राजनीतिक पकड़ को सच में चुनौती दे सकता है।

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