Bihar Flood: मानसून के आते ही बिहार की नदियां उफान पर, पूर्व मध्य रेलवे ने बाढ़ की निगरानी के लिए अपनाई नई तकनीक |
Bihar Flood: बिहार में मानसून के आगमन के साथ ही प्रमुख नदियां उफान पर हैं, जिससे बाढ़ की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इस स्थिति को देखते हुए पूर्व मध्य रेलवे ने सतर्कता बरतते हुए नई तकनीक अपनाई है। रेलवे पुलों पर नदियों के जलस्तर की निगरानी के लिए ‘वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम’ लगाया गया है। इस प्रणाली के माध्यम से अधिकारियों को एसएमएस के जरिए जलस्तर की ताजा जानकारी मिलती रहती है, जिससे वे तुरंत आवश्यक कदम उठा सकें। पूर्व मध्य रेल के विभिन्न मंडलों के 57 महत्वपूर्ण रेल पुलों पर यह मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किया गया है, जिससे बाढ़ के खतरे को समय पर पहचाना जा सके और सुरक्षा उपाय किए जा सकें। यह तकनीक नदियों के बढ़ते जलस्तर पर नजर रखने में अत्यंत उपयोगी साबित हो रही है, जिससे रेलवे के परिचालन और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा रहा है।
कई नदियों के जलस्तर की हो रही है निगरानी
Bihar Flood: पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र ने बताया कि बरसात के इस मौसम में महत्वपूर्ण पुलों पर नदियों के जलस्तर की निगरानी के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। समस्तीपुर मंडल में गंगा, कोसी, बूढ़ी गंडक, बागमती, करेह, कमला, और कुशहा नदियों पर ‘वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम’ लगाए गए हैं। सोनपुर मंडल में गंगा, गंडक, कोसी, और बूढ़ी गंडक नदियों पर यह प्रणाली स्थापित की गई है।
Bihar Flood: दानापुर मंडल में गंगा, किउल, सोन, पुनपुन, कर्मनाशा, और सकरी नदियों पर भी यह सिस्टम लगाया गया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल में सोन और कर्मनाशा नदियों तथा धनबाद मंडल में दामोदर, कोयल, रिहंद नदियों एवं तिलैया डैम पर बने रेल पुलों पर भी ‘वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम’ लगाए गए हैं।
Bihar Flood: यह प्रणाली अधिकारियों को एसएमएस के माध्यम से नदियों के जलस्तर की ताजा जानकारी प्रदान करती है, जिससे बाढ़ के संभावित खतरों को समय पर पहचाना जा सके और त्वरित कार्रवाई की जा सके। इससे न केवल रेल यातायात की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा भी बढ़ती है।
Bihar Flood: रेलवे द्वारा अपनाई गई यह तकनीक मानसून के दौरान उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने में अत्यंत सहायक साबित हो रही है। विभिन्न नदियों पर लगातार निगरानी रखकर, रेलवे प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जो सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
‘ऑटोमेटेड एसएमएस से मिल जाती है जानकारी’
Bihar Flood: रेलवे अधिकारी ने बताया कि ‘वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम’ के माध्यम से नदियों के जलस्तर की जानकारी ऑटोमेटेड एसएमएस के जरिए संबंधित अधिकारियों को प्राप्त होती है। इस आधुनिक प्रणाली के लग जाने से नदियों पर बने रेल पुलों पर जलस्तर की सूचना अधिकारियों को आसानी से मिल जाती है, जिससे वे त्वरित और उचित निर्णय ले सकते हैं। इस सिस्टम में सोलर पैनल से जुड़ा एक सेंसर होता है, जिसमें एक चिप भी लगी होती है। यह सेंसर ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ा होता है, जिससे नदियों के जलस्तर की जानकारी नियमित अंतराल पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के मोबाइल नंबर पर एसएमएस के माध्यम से पहुंचाई जाती है।
Bihar Flood: अधिकारी ने आगे बताया कि समय पर नदियों के जलस्तर की सूचना मिलने से रेलपथ को संरक्षित करना आसान हो जाता है। यह प्रणाली न केवल बाढ़ के खतरे को कम करने में मदद करती है, बल्कि रेल यातायात की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस सिस्टम की मदद से रेलवे प्रशासन को नदियों के बढ़ते जलस्तर के बारे में समय रहते जानकारी मिल जाती है, जिससे वे त्वरित उपाय कर सकते हैं और संभावित दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।
Bihar Flood: सोलर पैनल और सेंसर की यह आधुनिक तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है और इसे बनाए रखना भी आसान है। इस प्रणाली के लागू होने से रेलवे के परिचालन में सुधार हुआ है और बाढ़ के दौरान रेल पथों की सुरक्षा बढ़ी है। इस नई तकनीक ने रेलवे के सुरक्षा उपायों को एक नई दिशा दी है, जिससे नदियों के जलस्तर की निगरानी में उच्च स्तर की सटीकता और प्रभावशीलता आई है।
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